Book Title: Ambad Charitram
Author(s): Muniratnasuri, Vijayjinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 74
________________ अम्बर चरित्रम् पश्चम आदेश: // 70 // त्रा भृतकं तावदुत्थाय जगाद मातरं प्रति / कथं रोदिषि हे मात-मरणं प्राप्तवानहम् // 27 // श्री सुखेन जीव जननि ! मा रोदीर्वज वेश्मनि / मृतो न जीवति प्रायः कायः पतति निश्चितम् // 28 // निगद्य ति तथाऽभूवं मृतकं वह्निसात्कृतम् / विस्मिताऽऽरामिका चित्ते हर्षिताम्बडमब्रवीत् // 21 // परोपकारप्रवण ! मम जीवितदायकः / समागच्छतु साकार्य-गृहेऽगादम्बडान्विता // 130 // अम्बडं प्रीणयामास गौरवेण च मालिनी / अम्बडः प्राह तां राज-भवने यासि वा न वा // 31 // तयोचे यामि तत्रैव राजकीयास्मि मालिनी / साऽगादम्बडवृत्तान्तं सुश्राव राजकन्यका // 32 // परकायप्रवेशस्य विद्यया मृतजल्पनम् / आरामिकामुखे श्रुत्वा रोहिणी मुमुदेतराम् // 33 // तदाऽस्य रोहिणी क्षेमसन्देशमकथापयत् / अम्बडोऽस्यै करे तस्याः प्रेषीत्कुसुमकञ्चुकीम् // 34 // भ्रातुः समरसिंहस्य सन्धां पूर्णा स्वसाऽवदत् / मालिनीगृहसंस्थेन विवाहय वरेण माम् // 35 // सम्पूर्णप्रतिज्ञा कन्यां सुरङ्ग पर्यणापयत् / अम्बडः प्रीणितस्तेन चतुरङ्गचमूवृतः // 36 // रोहिणीप्रमुखाः कन्याः चतस्रस्तत्समन्वितः / योगिनीं साक्षिकं कृत्वा सुखं भुङ्क्ते पुरं गतः॥३७॥ // 7 //

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