Book Title: Ambad Charitram
Author(s): Muniratnasuri, Vijayjinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 72
________________ अम्बड चरित्रम् पञ्चम आदेश: // 68 // यदा ममार्द्धराज्यं च राजकन्यां च मन्त्रिणः। रविचन्द्रप्रदीपं हि वाञ्छितं यदि दास्यथः॥६॥ | प्रमाणमिति तद्राक्यं निश्चिकायाम्बडस्ततः / शान्तिकच्यानहोमाद्या-डम्बरेण स्वविद्यया // 7 // राजानं च प्रधानं च विततान निराकुलम् / पुरे महोत्सवो जातः सर्व हर्षमवापयत् // 8 // राजवर्गीयमनुजैः पट्टराज्ञीनिदेशतः / प्रतिपन्नवचःस्थैर्यादिज्ञप्य नृपमन्त्रिणौ // 1 // अर्द्धराज्यं च मदिरावती भूपतिकन्यका / वैरोचनप्रधानस्य पुत्री की रमञ्जरी // 11 // | रविचन्द्रप्रदीपञ्च सर्व तस्मै ददे मुद्दा / स एवारामिकापुत्री-देमती परिणीतवान् ।११।त्रिभिर्विशेषकम् // | पञ्चविंशतिदिवसांस्तत्र स्थित्वाऽम्बडो महान् / आपृच्छय स्वजनं सर्व स्वीयं नीत्वाऽम्बडोऽचलत् / 12 // आगासिंहपुरं सोऽपि ससैन्यः सपरिग्रहः / तावदग्रेवजच्चैकं मृतकं पश्यति स्म सः // 13 // श्रापतन्तीति तदनु रुदन्त्यका नितम्बिनी / महाविलापं कुर्वन्ती दृष्ट्वा तामम्बडोऽवदत् // 14 // कथं रोदिषि हे नारि ! जातं हरति चान्तकः / अनेके राजरकाद्या याता यास्यन्ति यान्ति च // 15 // यतः-पुरन्दरसहस्राणि चक्रवर्तिशतान्यपि / निर्वापितानि कालेन प्रदीप इव वायुना // 16 // // 68 //

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