Book Title: Ambad Charitram
Author(s): Muniratnasuri, Vijayjinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ अम्बड चतुर्थ चरित्रम् आदेश: // 57 // फोडी पालि कइ मोडी डालि, पेटिमई पाडी कह नई झाल / __ अक्षर घाल्या विहिऊंघती, देवउलंमा दिइ अमरावती // 6 // इति दृष्टाम्बडोऽरोदीन निशिथे तत्र कानने / आगात् पुष्पबटुस्तावत् दृष्ट्वा तमुपलक्षितः॥२१०॥ शीघ्रं पुष्पबटुर्गवा मुनिमाहूय चागमत् / दृष्टयाद्य दृष्टवान् वीरः पुत्री दुःखजलाञ्जलिः॥११॥ अम्बडः तं नमश्चक्रे ऋषिस्तस्याशिषं ददौ / धन्याऽमरावती कन्या यस्या वरयितेदृशः // 12 // अम्बडस्तत्र तां कन्यां तरुणीं परिणीतवान् / ऋषिराजकृतोदाहो निश्चितो भवति स्म सः॥ 13 // ततः स्थित्वा कियत्कालं कृत्वाऽयमहिषीं च ताम् / आपृच्छय मुनिराजेन्द्रमम्बडः स्वपुरं ययौ // 14 // गोरखयोगिनि आगलि सर्व-मुकी प्रणमइ नाणइ गर्व / योगिनि बोलि अम्बडवीर राजकरे तु साहस धीर॥१५॥ | अम्बडः पादयोस्तस्याः पतित्वा स्वपुरं गतः। ताभिः सकलपत्नीभिः सुखं भुङ्क्ते निरन्तरम् // 216 // // इति श्री अम्बडचरिते गोरखयोगिनीदत्तचतुर्थादेशः सम्पूर्णः // 4 // --09).-- // 7 //

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