Book Title: Ambad Charitram
Author(s): Muniratnasuri, Vijayjinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ अम्बर चरित्रम् आदेश: // 44 // मुनिकन्या ततःस्थाना-दुत्थाय धनदं सुरम् / पूज्यवत्तन्दुलैर्भक्त्या वर्धाप्य विनयाजगौ // 6 // हे बान्धव ! नमस्तुभ्यं ममैवासि सहोदरम् / अपूर्वा कुरु मे रक्षां यत्कस्याभिभवो न तु // 6 // ततो यक्षेश्वरस्तस्यां त्यक्त्वा कामविकल्पनाम् / स्वसारमिव मेने स कन्यां ताममरावतीम् // 7 // तस्या निर्विघ्नवासार्थं निष्पाद्य दिव्यशक्तितः / तटाकजलमार्गेण पातालभवनं व्यधात् // 71 // ततस्तस्याः पिता श्रीदमपृच्छत्तदरं च कम् / अवधिज्ञानतः सोऽपि ज्ञात्वा जल्पितवानिति // 72 // विद्यावानम्बडो नाम्ना वरो ह्यस्या भविष्यति / ऋषिः प्रोवाच हे श्रीद ! स एव ज्ञास्यते कथम् // 73 // अवदद्धनदो जाती-बकुलद्रुममध्यगम् / कन्या द्रक्ष्यति पुरुषं ज्ञातव्यो वर एव सः // 7 // कथयित्वेति यक्षेशो निजं धाम जगाम सः / विवाहावसरे तस्यास्तत्पिता तं गवेषयत् // 7 // ततोऽमरावती कन्या कदावासे कदावने / कदा क्रीडति कासारे सारे भर्तरि सुन्दरी // 76 / / रमयन्त्या तया दृष्टः क्रीडन् वृक्षान्तरे भवान् / अद्य नो माति हृदये हर्षोऽस्यास्तारतम्यतः // 7 // धनदार्पितमेतच्च यत्फलं तव दौकितम् / भवन्तं प्रत्यहं पुष्प-बटुकः प्रेषितस्तया // 78|| // 44 //

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