Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 17
________________ सरिसएहितो रायकुलेहितो आणिअल्लियाणं पसाहणटुंग-अविहववहु-ओवयण-मंगलसुजंपिएहिं अट्ठहिं रायवरन्नाहिं सद्धिं एगदिवसेणं पाणिं गिण्हाविसं । तए णं तस्स मेहस्स अम्मापियरो इमं एयारूवं पीइदाणं दलयंति-अट्ठ हिरण्णकोडीओ अट्ठ सवण्णकोडीओ गाहाणसारेण भाणियव्वं जाव पेसणकारियाओ अण्णं च विपलं धण-कणग-रयण-मणिमोत्तिय-संख-सिल-प्पवाल-रत्तरयण-संत-सार-सावएज्जं अलाहि जाव आसत्तमाओ कुलवंसाओ पकामं दाउं पकामं भोत्तुं पकामं परिभाएउं । सयक्खंधो-१, अज्झयणं-१ तए णं से मेहे कमारे एगमेगाए भारियाए एगमेगं हिरण्णकोडिं दलयइ जाव एगमेगं पेसणकारिं दलयइ अण्णं च विउलं धण-कणग-जाव परिभाएउं दलयइ तए णं से मेहे कुमारे उप्पिं पासायवरगए फुट्टमाणेहिं मुइंगमत्थएहिं वरतरुणिसंपउत्तेहि बत्तीसइबद्धएहिं नाडएहिं उवगिज्जिमाणेउवगिज्जमाणे उवलालिज्ज-माणे-उवलालिज्जमाणे इढे सद्द-फरिस-रस-रूव-गंधे विउले माणस्सए कामभोगे पच्चणुभवमाणे विहरइ । [२९] तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणामेव रायगिहे नयरे गुणसिलए चेइए जाव विहरइ । [३०] तए णं रायगिहे नयरे सिंधाडग-जाव महया जणसद्दे इ वा जाव बहवे उग्गा भोगा रायगिहस्स नगरस्स मज्झमज्झेणं एगदिसिं एगभिमुहा निग्गच्छंति इमं च णं मेहे कुमारे उप्पिं पासायवरगए फुट्टमाणेहिं मुइंगमत्थएहिं जाव माणुस्सए कामभोगे भुंजमाणे रायमग्गं च ओलोएमाणेओलोएमाणे एवं च णं विहरइ । तए णं से मेहे कुमारे ते बहवे उग्गे भोगे जाव एगदिसाभिमुहे निग्गच्छमाणे पासइ पासित्ता कंचइज्जपरिसं सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी-किण्णं भो देवामणप्पिया अज्ज रायगिहे नगरे इंदमहे इ वा खंदमहे इ वा एवं-रूद्द-सिव-वेसमण-नाग-जक्ख-भूय-नई-तलाय-रुक्ख-चेइय-पव्वयमहे इ वा उज्जाण-गिरिज-त्ता इ वा जओ णं बहवे उग्गा भोगा जाव एगदिसिं एगाभिम्हा निग्गच्छंति तए णं से कंचुइज्जपुरिसे समणस्स भगवओ महावीरस्स गहियागमणपवित्तीए मेहं कुमारं एवं वयासी नो खल देवाणुप्पिया! अज्ज रायगिहे नयरे इंदमहे इ वा जाव गिरिजत्ता इ वा जं णं एए उग्गा भोगा जाव एगदिसिं एगाभिमहा निगच्छंति एवं खल देवाणउप्पिया समणे भगवं महावीरे आइगरे तित्थगरे इहभाए इह संपत्ति समोसढे इह चेव रायगिहे नगरे गणसिलए चेइए अहापडिरूवं जाव विहरइ तए णं से मेहे कुमारे कंचुइज्जपरिस्स अंतिए एयमहूँ सोच्चा निसम्म हजुत्ढे कोइंबियपरिसे सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया चाउग्घंटं आसरहं जुत्तामेव उवट्ठवेह तहत्ति उवणेति । तए णं से मेहे पहाए जाव सव्वांलकारविभूसिए चाउग्घंटं आसरहं दुरूढे समाणे सकोरंटमल्लदाममं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं महया भड-चडगर-वंद-परियाल-संपरिवडे रायगिहस्स नयरस्स मज्झंमज्झेणं निग्गच्छड़ निग्गच्छित्ता जेणामेव गुणसिलए चेइए तेणामेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स छत्ताइच्छत्तं पडागाइपडागं विज्जाहर-चारणे जंभए य देवे ओवयमाणे उप्पयमाणे पासइ पासित्ता चाउग्घंटाओ आसरहाओ पच्चोरुहइ पच्चोरूहित्ता समणं भगवं महावीर पंचविहेणं अभिगमेणं अभिगच्छइ तं जहा- सचित्ताणं दव्वाणं विउसरणयाए, अचित्ताणं दव्वाणं अविउसरणयाए, एगसाडियंउत्तरासंगकरणेणं, चक्खफासे अंजलिपग्गहेणं, मणसो एगत्तीकरणेणं जेणामेव [दीपरत्नसागर संशोधितः] [16] [६-नायाधम्मकहाओ]

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