Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 108
________________ तए णं से कणगज्झए राया इमीसे कहाए लद्धढे समाणे एवं वयासी-एवं खल तेयलिपत्ते मए अवज्झाए मुंडे भवित्ता पव्वइए तं गच्छामि णं तेयलिपुत्तं अणगारं वंदामि नमसामि वंदित्ता नमंसित्ता एयमद्वं च विणएणं भुज्जो-भुज्जो खामेमि-एवं सपेहेइ संपेहेत्ता प्रहाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं जेणेव पमयवणे उज्जाणे जेणेव तेयलिपत्ते अणगारे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता तेयलिपत्तं वंदइ नमंसइ वंदित्ता नमंसित्ता एयमद्वं च णं विणएणं भुज्जो-भुज्जो खामेइ खामेत्ता नच्चासण्णे जाव पज्जुवासइ । तए णं से तेयलिपत्ते अणगारे कणगज्झयस्स रण्णो तीसे य महइमहालियाए परिसाए धम्म परिकहेइ, तए णं से कणगज्झए राया तेयलिपत्तस्स केवलिस्स अंतिए धम्म सोच्चा निसम्मा पंचाणव्वइयं सत्तसिक्खावइयं-वालसविहं सावगधम्म पडिवज्जइ पडिवज्जित्ता समणोवासए जाएअभिगयजीवाजीवे स्यक्खंधो-१, अज्झयणं-१४ तए णं तेयलिपुत्ते केवली बहूणि वासाणि केवलिपरियागं पाउणित्ता जाव सिद्धे । एवं खल जंबू! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं चोद्दसमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते त्ति बेमि | • पढमे सुयक्खंधे चोद्दसमं अज्झयणं समत्तं . ० मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च चोद्दसमं अज्झयणं समत्तं . . पन्नरसमं अज्झयणं-नंदीफले . [१५७] जइ णं भंते! समणेणं० चोद्दसमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते पन्नरसमस्स० के अढे पन्नत्ते? एवं खल जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नामं नयरी होत्था, पन्नभद्दे चेइए, जियसत्तू राया, तत्थ णं चंपाए नयरीए धणे नामं सत्थवाहे होत्था-अड्ढे जाव अपरिभूए, तीसे णं चंपाए नयरीए उत्तरपत्थिमे दिसीभाए अहिच्छत्ता नाम नयरी होत्था-रिद्धत्थिमिय-समिद्धा वण्णओ तत्त णं अहिच्छत्ताए नयरीए कणगकेऊ नामं राया होत्था-महया वण्णओ । तए णं तस्स धन्नस्स सत्थवाहस्स अन्नया कयाइ पव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि इमेयारूवे अज्झत्थिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समप्पज्जित्था-सेयं खल मम विपुलं पणियभंडमायाए अहिच्छत्तं नयरिं वाणिज्जाए गमित्तए-एवं संपेहेइ संपेहेत्ता गणिमं च धरिमं च भेज्जं च पारिच्छेज्जं च चउव्विहं भंडं गेण्हइ गेण्हित्ता सगडी-सागडं सज्जेइ सज्जेत्ता सगडी-सागडं भरेइ भरेत्ता कोइंबिय-परिसे सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी गच्छह णं तब्भे देवाणप्पिया! चंपाए नयरीए सिंघाडग जाव पह-महापहपहेस् उग्घोसेमाणाउग्घोसेमाणा एवं वयह- एवं खल देवाणुप्पिया! घणे सत्थवाहे विप्लं पणियं आदाय इच्छइ अहिच्छत्तं नयरिं वाणिज्जाए गमित्तए, तं जो णं देवाणप्पिया! चरए वा चीरिए वा चम्मखंडिए वा भिच्छंडे वा पंडुरंगे वा गोयमे वा गोव्वतिए वा गिहिधम्मे वा धम्मचिंतए वा अविरुद्ध-विरुद्ध-वड्ढसावग-रत्तपडनिग्गंथप्पभिई पासंडत्थे वा गिहत्थे वा घणेणं सत्थवाहेणं सद्धिं अहिच्छत्तं नयरिं गच्छइ तस्स णं घणे सत्थवाहे अच्छत्तगस्स छत्तगं दलयइ अनुवाहणस्स उवाहणाओ दलयई अकुंडियस्स कुंडियं दलयइ अपत्थयणस्स पत्थयणं दलयइ अपक्खेवगस्स पक्खेवं दलयइ अंतरा वि य से पडियस्स वा भग्गलग्गस्स [दीपरत्नसागर संशोधितः] [107] [६-नायाधम्मकहाओ]

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