Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 121
________________ तए णं से दूए हाए जाव अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे चाउग्घंटं आसरहं दुरूहइ दुरुहिता बहूहिं पुरिसेहिं-सण्णद्ध-जाव गहियाउह-पहरजेहिं-सद्धिं संपरिवुडे कंपिल्लपुरं नयरं मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ, पंचालजणवयस्स मज्झंमज्झेणं जेणेव देसप्पंते तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सुरट्ठाजणवयस्स मज्झंमज्झेणं जेणेव बारवई नयरी तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता बारवइं नयरिं मज्झंमज्झेणं अनुप्पविसइ अनुप्पविसित्ता जेणेव कण्हस्स वासुदेवस्स बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता चाउग्घंटं आसरहं ठावेइ ठावेत्ता रहाओ पच्चोरूहइ पच्चोरूहित्ता मणुस्सवग्गुरापरिक्खित्ते पायचारविहारेणं जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता कण्हं वासुदेवं समुद्दविजयपामोक्खे य दस दसारे जाव छपनप्नं बहलवगसाहस्सीओ करयल तं चेव जाव समोसरह । तणं से कहे वासुदेवे तस्स दूयस्स अंतिए एयमट्ठे सोच्चा निसम्म ह जावहिय तं दूयं सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता पडिविसज्जेइ । तए णं से कण्हे वासुदेवे कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ सद्यावेत्ता एवं वयासी - गच्छहणं मं देवाणुप्पिया! सभाए सुहम्माए सामुदाइयं भेरिं तालेहि, तए णं से कोडुंबियपुरिसे करयल जाव कण्हस्स वासुदेवस्स एयमट्ठे पडिसुणेइ पडिसुणेत्ता जेणेव सभाए सुहम्माए सामुदाइया भेरी तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सामुदाइयं भेरिं महया - महया सद्देणं ताइ । तणं ताए सामुदाइयाए भेरीए तालियाए समाणीए समुद्दविजयपामोक्खा दस दसारा जाव महासेणपोक्खाओ छप्पन्नं बलवगसाहस्सीओ पहाया जाव विभूसिया जहा विभवइढिसक्कार-समुदणं अप्पेगइया हयगया जाव पायविहारचारेणं जेणेव कण्हे वासुदेव तेणेव उवागच्छंतिं उवागच्छित्ता करयल जाव कण्हं वासुदेवं जएणं विजएणं वद्धावेंति । तणं से कहे वासुदेवे कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ सद्यावेत्ता एवं वयासी - खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! आभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेह हय-गय- जाव पच्चप्पिणंति, तए णं से कण्हे वासुदेवे जेणेव मज्जणधरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता समत्तजाला - कुलाभिरामे जाव अंजणगिरिकूडसन्निभं सुयक्खंधो-१, अज्झयणं-१६ गयवइं नरवई दुरूढे । तए णं से कण्हे वासुदेवे समुद्दविजयपामोक्खेहिं दसहिं दसारेहिं जाव अणंगसेणापामोक्खा अनेगाहिं गणियासाहस्सीहिं सद्धिं संपरिवुडे सव्विड्ढीए जाव रवेणं बारवइं नयरिं मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ निग्गच्छित्ता सुरट्ठाणजणवयस्स मज्झंमज्झेणं जेणेव देसप्पंते तेणेव उवागच्छन् उवागच्छित्ता पंचालजणवयस्स मज्झंमज्झेणं जेणेव कंपिल्लपुरे नयरे तेणेव पहारेत्थ गमणा । [१७०] तए णं से दुवए राया दोच्चं पि दूयं सद्दावेइ सद्यावेत्ता एवं वयासी गच्छहणं मं देवाणुप्पिया! हत्थिणाउरं नयरं तत्थ णं तुमं पंडुरायं सपुत्तयं जुहिट्ठिलं भीमसेणं अज्जुणं नउलं सहदेवं दुज्जोहणं भाइसय-समग्गं गंगेयं विदुरं दोणं जयद्दहं सउणिं कीवं आसत्थामं करयल० जाव कट्टु त समोसरह! तए णं से दूए एवं वयासि जहा वासुदेवे नवरं भेरी नत्थि जाव जेणेव कंपिल्लपुरे नयरे तेणेव पहारेत्थ गमणाए । एएणेव कमेणं - तच्चं दूयं० चंपं नयरिं तत्थ णं तुमं कण्हं अंगराय सेल्लं नंदिरायं करयल तहेव जाव समोसरह चउत्थं दूयं सुत्तिमहं नयरिं तत्थ सिसुपालं दमघोससुयं पंचभाइसय संपरिवुडं करयल तहेव जाव समोसरह| पंचमं दूयं० हत्थिसीसं नयरिं तत्थ णं तुमं दमदंतं रायं करयल तहेव जाव [दीपरत्नसागर संशोधितः] [120] [६-नायाधम्मकहाओ]

Loading...

Page Navigation
1 ... 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159