Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 125
________________ तए णं से पंडू राया तेसिं वासुदेवपामोक्खाणं आगमणं जाणित्ता कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया! हत्थिणाउरस्स नयरस्स बहिया वासुदेवपामोक्खाणं बहणं रायसहस्साणं आवासे-अणेग-खंभसयसण्णिविढे कारेह कारेत्ता जाव तहेव पच्चप्पिणंति । तए णं ते वासुदेवपामोक्खा बहवे रायसहस्सा जेणेव हत्थिणाउरे तेणेव उवागए, तए णं से पंडू राया ते वासुदेव- पामोक्खे बहवे रायसहस्से जेणेव हत्थिणाउरे तेणेव उवागए, तते णं से पंडराया तेसिं वासुदेव पामोक्खाणं आगमणं जाणित्ता हट्ठतुढे पहाए कयबलिकम्मे जहा दुवए जाव जहारिहं आवासे दलयइ । तए णं ते वासुदेवपामोक्खा बहवे रायसहस्सा जेणेव सयाई-सयाई आवासाइं तेणेव उवागच्छंति तहेव जाव विहरंति, तए णं से पंडू राया हत्थिणारं नयरं अनुपविसइ अनुपविसित्ता कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी- तुब्भे णं देवाणुप्पिया! विपुलं असण-पाण-खाइम-साइमं तहेव जाव विहरंति, तए णं से पंडू राया ते पंच पंडवे दोवइं च देविं पट्टयं दुरुहावेइ दुरुहावेत्ता सेयापीएहिं कलसेहिं ण्हावेइ ण्हावेत्ता कल्लाणकारं करेइ करेत्ता ते वासुदेवपामोक्खे बहवे रायसहस्से विपुलेणं असणं पुप्फ-वत्थ-गंध-मल्लालंकारेणं य सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता पडिविसज्जएइ, तए णं ताई वासुदेवपामोक्खाई बहूइं जाव पडिगयाइं । [१७४] तए णं ते पंच पंडवा दोवईए देवीए सद्धिं अंतो अंतेउरपरियाल सद्धिं कल्लाकल्लिं वारंवारेणं उरालाई भोगभोगाइं भंजमाणा विहरंति, तए णं से पंडू राया अण्णया कयाइं पंचहिं पंडवेहिं कोतीए देवीए दोवईए य सद्धिं अंतो अंतेउरपरियाल सद्धिं संपरिवुडे सीहासणवरगए यावि विहरइ ।। इमं च णं कच्छल्लनारए-दंसणेणं अइभद्दए विणीए अंतो-अंतो य कलुस हियए मज्झत्थउवत्थिए य अल्लीण-सोमपियदंसणे सुरूवे अमइल-सगल-परिहिए कालमियचम्म-उत्तरासंग-रइयवच्छे दंडकमंडल-हत्थे जडामउडदित्तसिरए जन्नोवइय-गणेत्तिय-मंजमेहला-वागलघरे हत्थकय-कच्छभीए पियगंधव्वे धरणिगोयरप्पहाणे संवरणावरणि-ओवयणप्पयणि-लेसणीस य संकाणि-आभिओगि-पन्नति-गमणिथंभिमणीसु य बहूसु विज्जाहसुरी विज्जासु विस्सुयजसे इढे रामस्स य केसवस्स य पज्जुन्न पईव-संबअनिरुद्ध-निसढ-उम्मुय-सारण-गय-सुमुह-दुम्मुहाईणं जायवाणं अद्धद्वाणं य कुमारकोडीणं हियय-दइए संथवए कलह-जुद्ध-कोलाहलप्पिए भंडणाभिलासी बहूसु य समरसय-संपराएसु दंसणरए समंतओ कलहं सदसुयक्खंधो-१, अज्झयणं-१६ क्खिणं अनुगवेसमाणे असमाहिकरे दसारवर-वीरपरिस-तेलोक्कवलवगाणं आमंतेऊण तं भगवई पक्कमणिं गगणगमणदच्छं उप्पइओ गगणमभिलंघयंतो गामागर-नगर-खेड-कब्बड-मडंब-दोणमुह-पट्टण-संबाह सहस्समंडिय थिमियमेइणीयं निब्भर जणपदं वसुहं ओलेइंते रम्मं हत्थिणाउरं उवागए पंड्रायभवणंसि झत्ति-वेणेग समोवइए । तए णं से पंडू राया कच्छुल्लनारयं एज्जमाणं पासइ पासित्ता पंचहिं पंडबेहिं कुंतीए देवीए सद्धिं आसणाओ अब्भुढेति अब्भुढेत्ता कच्छुल्ल-नारयं सत्तट्ठपयाई पच्चुग्गच्छइ पच्चुग्गच्छित्ता तिक्खुत्तो आयहिण-पयाहिणं करेइ करेत्ता वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता महरिहेण आसणेणं य उवनिमंतेइ [दीपरत्नसागर संशोधितः] [124] [६-नायाधम्मकहाओ]

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