Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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तए णं से कण्हे वासुदेवे कच्छुल्लनारयं एवं वयासी-तुमं णं देवाणुप्पिया! बहूणि गामागरजाव अनुपविससि, तं अत्थियाइं ते कहिंचि दोवईए देवीए सुई वा जाव उवलद्धा? तए णं से कच्छुल्लनारए कण्हं वासुदेवं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! अण्णया घायइसंडदीवे पुरत्थिमद्धं दाहिणड्ढं-भरहवासं अवरकंका-रायहाणिं गए, तत्थ णं मए पउमनाभस्स रण्णो भवणंसि दोवई-देवी-जारिसिया दिट्ठपुव्वा यावि होत्था ।
तए णं कण्हे वासुदेवे कच्छुल्लनारयं एवं वयासी- तुब्भं चेव णं देवाणुप्पिया! एवं पव्वकम्म, तए णं से कच्छुल्लनारए कण्हेणं वासुदेवेणं एवं वुत्ते समाणे उप्पयणिं विज्जं आवाहेइ आवाहेत्ता जामेव दिसिं पाउब्भए तामेव दिसिं पडिगए ।
तए णं से कण्हे वासुदेवे दूयं सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुम देवाणुप्पिया! हत्थिणाउरं नयरं पड्स्स रण्णो एयमटुं निवेएहि-एवं खल देवाणप्पिया धायसंडदीवे पुरत्थिमद्धे दाहिणड्ढभरहवासे अवरकंकाए रायहाणीए पउमनाभभावणंसि दोवईए देवीए पउत्ती उवलद्धा तं गच्छंत् पंच पंडवा चाउरंगिणिए सेणाए सद्धिं संपरिडा पुरत्थिम-वेयालीए ममं पडिवालेमाणा चिटुंत, तए णं से दूर भणइ जाव पडिवालेमाणा चिट्ठह, तेवि जाव चिट्ठति ।
तए णं से कण्हे वासुदेवे कोइंबियपुरिसे सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी-गच्छह णं तब्भे देवाणप्पिया सन्नाहियं भेरिं तालेह तेवि तालेंति तए णं तीए सन्नाहियाए भेरीए सदं सोच्चा समुद्दविजयपामोक्खा दस दसारा जाव छपन्नं बलवगसाहस्सीओ सण्णद्ध-बद्ध-जाव गहियाउह-पहरणा अप्पेगइया हयगया, अप्पेगइया गयगया जाव वग्गरापरिक्खित्ता जेणेव सभा सुहम्मा जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता करयल० जाव वद्धाति ।
तए णं से कण्हे वासुदेवे हत्थिखंधवरगए सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं० सेयवर० हय-गय० महयाभड-चडगर-रह-पहकर० बारवईए नयरीए मज्झंमज्झेणं निगच्छइ निगच्छित्ता जेणेव पुत्थिमवेयाली तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं एगयओ मिलइ मिलित्ता खंधावारनिवेसं करेइ करेत्ता पोसहसालं अनुप्पविसइ अनुप्पविसिदत्ता सुट्टियं देवं मणसीकरेमाणे-मणीसकरेमाणे चिट्ठइ, तए णं कण्हस्स वासुदेवस्स अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि सुडिओ जाव आगओ, भणं देवाणुप्पिया! जं मए कायव्वं, तए णं से कण्हे वासुदेवे सुट्टियं देवं एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया! दोवई देवी जाव पउमनाभभवणंसि साहरिया तण्णं तमं देवाणप्पिया! मम पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं अप्पछदस्स छण्हं रहाणं लवणसमुद्दे मग्गं वियराहिं, जेणाहं अवरकंकं रायहाणिं दोवईए कूवं गच्छामि ।
तए णं से सुट्ठिए देवे कण्हं वासुदेवं एवं वयासी- किण्णं देवाणुप्पिया! जहा चेव पउमनाभस्स रण्णो पुव्वसंगइएणं देवेणं दोवई देवी जाव संहरिया तहा चेव दोवई देविं धायईसंडाओ दीवाओ भारहाओ जाव हत्थिणाउरं साहरामि, उदाहु पउमनाभं रायं सपुरबलवाहणं लवणसमुद्दे पक्खिवामि? तए णं से कण्हे वासुदेवे सुट्ठियं देवं एवं वयासी-मा णं तुमं देवाणुप्पिया! णाउराओ नयराओ जुहिद्विलस्स रण्णो भवणाओ साहिया तहा चेव दोवइं देविं साहराहि तुम णं देवाणुप्पिया! मम लवणसयक्खंधो-१, अज्झयणं-१६
समुद्दे पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं अप्पछट्ठस्स छण्हं रहाणं मग्गं वियराहि, सयमेव णं अहं दोवईए कूवं गच्छामि
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[६-नायाधम्मकहाओ]
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