Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 116
________________ [१६३] तए णं सागरए सूमालियाए दारियाए इमं एयारूवं पाणिफासं पडिसंवेदेइं, से जहानामए-असिपत्ते इ वा जाव मुम्मरे इ वा जाव एत्तो अणिद्वतराए चेव जाव पाणिफासं पडिसंवेदेइ, तए णं से सागरए अकामए अवसव्वसे महत्तमेत्तं संचिट्ठइ, तए णं सागरदत्ते सत्थवाहे सागरस्स अम्मापियरो मित्त-नाइ० विपलेणं असण-पाण-खाइम-साइमं पुप्फ-वत्थ जाव सम्माणेत्ता पडिविसज्जेइ । तए णं सागरए सूमालियाए सद्धिं जेणेव वासघरे तेणेव उवागच्छद उवागच्छित्ता समालियाए दारियाए सद्धिं तलिगंसि निवज्जइ, तए णं से सागरए दारए सूमालियाए दारियाए इमं एयारूवं अंगफासं पडिसंवेदेइ से जहानामए-असिपत्ते इ वा जाव एत्तो अमणामतरागं चेव अंगफासं पच्चणब्भवमाणे विहरइ, तए णं स सागरए दारए सूमालियाए दारियाए अंगफासंअसहमाणे अवसव्वसे मुहत्तमेत्तं संचिट्ठइ तए णं से सागरदारए सूमालियं दारियं सुहपसुत्तं जाणित्ता सूमालियाए दारियाए पासाओ उढेइ उद्वेत्ता जेणेव सए सयणिज्जे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सयणिज्जसि निवज्जइ । तए णं सा सूमालिया दारिया तओ महत्तंतरस्स पडिबुद्धा समाणी पइंव्वया पइमणरत्ता पई पासे अपस्समाणी तलिमाओ उढेइ उद्वेत्ता जेणेव से सयणिज्जे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सागरस्स पासे अनुवज्जइ, तए णं से सागरदारए सूमालियाए दारियाए दोच्चपि इमं एयारूवे अंगफासं पडिसंवेदेइ जाव अकामए अवसव्वसे मुहुत्तमेतं संचिट्ठइ, तए णं से सागरदारए सूमालियं दारियं सुहपसुत्तं जाणित्ता सुयक्खंधो-१, अज्झयणं-१६ सयणिज्जाओ उद्वेइ उद्वेत्ता वासघरस्स दारं विहाडेइ विहाडेत्ता मारामुक्के विव काए जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसिं पडिगए । [१६४] तए णं सा सूमालिया दारिया तओ मुहत्तंतरस्स पडिबुद्धा पतिव्वया जाव अपासमाणी सयणिज्जाओ उढेइ सागरस्स दारगस्स सव्वओ समंता मग्गण-गवेसणं करेमाणी-करेमाणी वासघरस्स दारं विहाडियं पासइ पासित्ता एवं वयासी- गए णं से सागरए त्ति कट्ट ओहयमणसंकप्पा जाव झियायइ, तए णं सा भद्दा सत्थवाही कल्लं पाउप्पभायाए० दासचेडिं सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी-गच्छह णं तमं देवाणप्पिए! वहवरस्स मुहधोवणियं उवणेहिं, तए णं सा दासचेडी भद्दाए सत्थवाहीए एवं वृत्ता समाणी एयमहूँ तहत्ति पडिसणेइ पडिसणेत्ता महधोवणियं गेण्हइ गेण्हित्ता जेणेव वासघरे तेणेव उवागच्छड उवागच्छित्ता सूमालियं दारियं जाव झियायमाणिं पासइ पासित्ता एवं वयासी-किण्णं तमं देवाणप्पिए ओहमयणंसकप्पा जाव झियाहि । तए णं सा सूमालिया दारिया तं दासचेडिं एवं वयासी-एव खलु देवाणुप्पिए! सागरए दारए ममं सुहपसत्तं जाणित्ता मम पासाओ उद्वेइ उद्वेत्ता वासघरद्वारं अवंगणेइ जाव पडिगए तए णं अहं तओ मुहुत्तंतरस्स पडिबुद्धा जाव विहाडियं पासामि पासित्ता गए णं से सागरए ति कट्ठ ओहयमणसंकप्पा जाव झियायामि, तए णं सा दासचेडी सूमालिये दारियाए एयमहूँ सोच्चा जेणेव सागरदत्ते सत्थवाहे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सागरदत्तस्स एयमढे निवेदेइ । तए णं से सागरदत्ते दासचेडीए अंतिए एयमहूँ सोच्चा निसम्म आसुरुत्ते० जाव जेणेव जिणदत्तस्स सत्थवाहस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता जिणदत्तं सत्थवाहं एवं वयासी- किण्णं देवाणुप्पिया! एयं जुत्तं वा पत्तं वा कुलाणुरूवं वा कुलसरिसं वा जण्णं सागरए दारए सूमालियं दारियं अदिट्ठदोसवडियं पइव्वयं विप्पजहाय इहमागए बहूहिं खिज्जणियाहि य रूंटाणियाहि य उवालभइ । [दीपरत्नसागर संशोधितः] [115] [६-नायाधम्मकहाओ]

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