Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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साहेज्जं दलयइ सुहंसुहेणं य अहिच्छत्तं संपावेइ त्ति कटु दोच्चंपि तच्चंपि घोसणं घोसेह घोसेत्ता मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह ।।
तए णं कोडुबियपुरिसा जाव वयासी-हंदि सुणंतु भगवंतो चंपानयरीवत्तव्वा बहवे चरगा वा जाव पच्चप्पिणंति, तए णं तेसिं कोऽबियपरिसाणं अंतिए एयमढे सोच्चा चंपाए नयरीए बहवे चरगा य जाव गिहत्था य जेणेव घणे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छति ।
तए णं घणे सत्थवाहे तेसिं चरगाणं य जाव गिहत्थाण य अच्छत्तगस्स छत्तं दलयड जाव अपत्थयणस्स पत्थयणं दलयइ दलयित्ता एवं वयासी-गच्छह णं तब्भे देवाणप्पिया चंपाए नयरीए बहिया अग्गज्जाणंसि ममं पडिवालेमाणा पडिवालेमाणा चिट्ठह, तए णं ते चरगा य जाव गिहत्था य धणेणं सत्थवाहेणं एवं वत्ता समाणा जाव चिट्ठति ।
तए णं घणे सत्थवाहे सोहणंसि तिहि-करण-नक्खत्तंसि विउलं असण-पाण-खाइम-साइम स्यक्खंधो-१, अज्झयणं-१५
उवक्खडावेइ उवक्खडावेत्ता मित्त-नाइ-जाव आमंतेइ आमंतेत्ता भोयणं भोयावेइ भोयावेत्त आपच्छड़ आपच्छित्ता सगडी-सागडं जोयावेइ जोयावेत्ता चंपाओ नयरीओ निग्गच्छइ निग्गच्छित्ता नाइविप्पगिटेहिं अद्धाणेहिं वसमाणे-वसमाणे सुहेहिं वसहि-पायरासेहिं अंगं जणवयं मज्झंमज्झेणं जेणेव देसग्गं तेणेव उवागच्छड़ उवागच्छित्ता सगडी-सागडं मोयावेइ सत्थनिवेसं करेइ करेत्ता कोइंबियपुरिसे सद्दावेइ सद्दावेत्ता एयं वयासी-तुब्भे णं देवाणुप्पिया! मम सत्थनिवेसंसि महया-महया सद्देणं उग्घासेमाणा-उग्घासेमाणा एवं वयह- एवं खलु देवाणुप्पिया! इमीसे आगामियाए छिण्णावायाए दीहमद्धाए अडवीए बहमज्झदेसभाए बहवे नंदिफला नामं रुक्खा-किण्हा जाव पत्तिया पुप्फिया फलिया हरिया रेरिज्जमाणा सिरीए अईवअईव उवसोभेमाणा चिट्ठति मणण्णा वण्णेणं० जाव मणण्णा फासेणं मणण्णा छायाए ।
तं जो णं देवाणप्पिया! तेसिं नंदिफलाणं रुक्खाणं मूलाणि वा कंदाणि वा तयाणि वा पत्ताणि वा पप्फाणि वा फलाणि वा बीयाणि वा हरियाणि वा आहारेइ छायाए वा वीसमइ तस्स णं आवाए भद्दए भवइ तओ पच्छा परिणममाणा-परिणममाणा अकाले चेव जीवियाओ ववरोवेंति, तं मा णं देवाणप्पिया! केइ तेसिं नंदिफलाणं मूलाणि वा जाव छायाए वा वीसमठ, मा णं से वि अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जि-स्सउ, तब्भे णं देवाणुप्पिया! अन्नेसिं रुक्खाणं मूलाणि य जाव हरियाणि य आहारेह छायास् वीसमह त्ति घोसणं घोसेह घोसेत्ता जाव तमाणत्तिय पच्चप्पिणंति ।
तए णं घणे सत्थवाहे सगडी-सागडं जोएइ जोएत्ता जेणेव मंदिफला रुक्खा तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता तेसिं नंदिफलाणं अदूरसामंते सत्थनिवेसं करेइ करेत्ता दोच्चंपि तच्चंपि कोइंबियपुरिसे सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी-तुब्भे णं देवाणुप्पिया मम सत्थनिवेसंसि महया-महया सद्देणं उग्घोसेमाणा-उग्घोसेमाणा एवं वयह-एए णं देवाणुप्पिया! ते नंदिफला रुक्खा किण्हा जाव मणण्णा छायाए तं जो णं देवाणप्पिया एएसिं नंदिफलाणं रूक्खाणं मूलाणि वा कंदाणि वा तयाणि वा पत्ताणि वा पुप्फाणि वा फलाणि वा बीयाणि वा हरियाणि वा आहारेइ जाव अकाले चेव जीवियाओ ववरोवेइ तं मा णं तुब्भे जाव दूरं दूरेणं परिहरमाणा वीसमह, मा णं अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जिस्सह अन्नेसिं रुक्खाणं मूलाणि य जाव वीसमह त्ति कट्ट घोसणं जाव पच्चप्पिणंति ।।
तत्थ णं अत्थेगइया परिसा घणस्स सत्थवाहस्स एयमद्वं सद्दहति पत्तियंति रोयंति एयमद्रं सद्दहमाणा जाव तेसिं नंदिफलाणं दूरं दूरेणं परिहरमाणा-परिहरमाणा अण्णेसिं रुक्खाणं मूलाणि य जाव
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
[108]
[६-नायाधम्मकहाओ]
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