Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 23
________________ अहाणुपुव्वीए संपत्थिया तं जहा- सोवत्थिय- सिरिवच्छ- नंदियावत्त-वद्धमाणग-भद्दासण- कलस-मच्छ-दप्पणया जाव बहवे अत्थत्थिया जाव ताहिं इट्ठाहिं जाव अणवरयं अभिनंदंता य अभिथुणंता य एवं वयासी- जयजय-नंदा जय-जय भद्दा जय-जय नंदा भद्दं ते अजियं जिणाहि इंदियाइं जियं च पालेहि समणधम्मं जियविग्घोऽवि य वसाहि तं देव! सिद्धिमज्झे निहणाहि रागदोसमल्ले तवेणं धिइ-धणिय-बद्धकच्छो मद्दाहि य अट्ठकम्मसत्तू झाणेणं उत्तमेणं सुक्केणं अप्पमत्त पावय वितिमिरमणुत्तरं केवलं नाणं गच्छ य मोक्खं परमं पय सासयं च अयलं हंत परीसहचमूणं अभीओ परीसहोवसग्गाणं धम्मे ते अविग्धं भवउत्ति कट्टु पुणो-पुणो मंगल-जयसद्दं परंजंति तए णं से मेहे कुमारे रायगिहस्स नगरस्स मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ निग्गच्छित्ता जेणेव गुणसिलए चेइए तेणामेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता पुरिससहस्सवाहिणीओ सीयाओ पच्चोरूहइ । [३४] तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स अम्मापियरो मेहं कुमारं पुरओ कट्टु जेणामेव समणे भगवं महावीरे तेणामेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणसुयक्खंधो-१, अज्झयणं-१ पयाहिणं करेंति करेत्ता वंदंति नमंसंति वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी एस णं देवाणुप्पिया! मेहे कुमारे अम्हं एगे पुत्ते इट्ठे कंते जाव जीवियउसासए हिययनंदिजण उंबरपुप्फं पिव दुल्लहे सवणयाए किमंग पुण दरिसणयाए? से जहानामा उप्पले ति वा पउमे ति वा कुमुदे ति वा पंके जाए जले संवड्ढि नोवलिप्पइ पंकरएणं नोवलिप्पड़ जलरएणं एवामेव मेहे कुमारे कामेसु जाए भोगेसु संवड्ढिए नोवलिप्पइ कामरएणं नोवलिप्पइ जलरएणं एवमेव मेहे कुमारे कामेसु जाए भोगेसु संवड्ढिए नोवलिप्पड़ कामरणं नोवलिप्पइ भोगरएणं, एस णं देवाणुप्पिया ! संसारभउव्विग्गे भीए जम्मण- जर मरणाणं इच्छइ देवाणउप्पियाणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए, अम्हे णं देवाणप्पियाणं सिस्सभिक्खं दलयामो पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया! सिस्सभिक्खं । तणं समणे भगवं महावीरे मेहस्स कुमारस्स अम्मापिऊहिं एवं वुत्ते समाणे एयमट्ठे सम्मं पडिसुणेइ तए णं से मेहे कुमारे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ उत्तरपुरत्थिमं भागं अवक्कमइ सयमेव आभरण - मल्लालंकारं ओमुयइ, तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स माया हंसलक्खणेणं पडसाडएणं आभरण-मल्लालंकारं पडिच्छइ पडिच्छित्ता हार - वारिधार - सिंदुवार छिन्नमुत्तावलिप्पगासाइं अंसूणि विणिम्मुयमाणी - विणिम्मुयमाणी रोयमाणी रोयमाणी कंदमाणी-कंदमाणी विलवमाणी-विलवाणी एवं वयासी- जइयव्वं जाया घडियव्वं जाया! परक्कमियव्वं जाया! अस्सिं च णं अट्ठे नो पमाएयव्वं अम्हंपि णं एसेव मग्गे भवउ त्ति कट्टु मेहस्स कुमारस्स अम्मापियरो समणं भगवं महावीरं वंदंति नमंसंति वंदित्ता नमंसित्ता जामेव दिसं पाउब्भूया तामेव दिसं पडिगया । [३५] तणं से मेहे कुमारे सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ करेत्ता जेणामेव समणे भगवं महावीरे तेणामेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ करेत्ता वंदड् नमंसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी- आलित्ते णं भंते! लोए पलित्ते णं भंते! लोए आलित्त-पलित्ते णं भंते! लोए जराए मरणेण य, से जहानामए केइ गाहावई अगारंसि झियायमाणंसि जे तत्थ भंडे भवइ अप्पभारे मोल्लगरुए तं गहाय आयाए एगंतं अवक्कमइ एस मे नित्थारिए समाणे पच्छा पुरा य लोए हियाए सुहाए खमाए निस्सेसाए आनुगामियत्ताए भविस्सइ एवामेव मम वि एगे आ इट्ठे कंते पिए मणुण्णे मणामे एस मे नित्थारिए समाणे संसारवोच्छेयकरे भविस्सइ तं इच्छामि णं [दीपरत्नसागर संशोधितः ] [६-नायाधम्मकहाओ] [22]

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