Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
View full book text ________________
झोसेत्ता सढि भत्ताइं अणसणाए छेएत्ता आलोइय-पडिक्कंते उद्धियसल्ले समाहिपत्ते अनपव्वेणं कालगए
तए णं ते थेरा भगवंतो मेहं अणगारं अनपव्वेणं कालगयं पासंति पासित्ता परिनिव्वाणवत्तियं काउस्सग्गं करेंति करेत्ता मेहस्स आयारभंडगं गेण्हंति विउलाओ पव्वयाओ सणियंसणियं पच्चोरुहंति पच्चोरुहित्ता जेणामेव गणसिलए चेइए जेणामेव समणे भगवं महावरे तेणामेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदंति नमसंति वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी- एवं खल देवाणप्पियाणं अंतेवासी मेहे नामं अणगारे पगइभद्दए जाव विणीए से णं देवाणप्पिएहिं अब्भणण्णाए समाणे गोयमाइए समणे निग्गंथे निग्गंथीओ य खामेत्ता अम्हेहिं सद्धिं विपलं पव्वयं सणियं-सणियं दुरुहइ सयमेव मेघघणसण्णिगासं पुढविसिलं पडिलेहेइ पडिलेहित्ता भत्तपाणपडियाइक्खिए अनपव्वेणं कालगए, एस णं देवाणुप्पिया मेहस्स अणगारस्स आयारभंडए ।
[४१] भंते त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी- एवं खल देवाणुप्पियाणं अंतेवासी मेहे नामं अणगारे से णं भंते! मेहे अणगारे कालमासे कालं किच्चा कहिं गए कहिं उववण्णे? गोयमाइ समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी- एवं खल गोयमा! मम अंतेवासी मेहे नामं अणगारे पगइभद्दए जाव विणीए से णं तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिज्जति अहिज्जित्ता बारस भिक्खुपडिमाओ गुणरयण-संवच्छरं तवोकम्मं काएणं फासेत्ता जाव किट्टेत्ता मए अब्भण्ण्णाए समाणे गोयमाइ थेरे खामेत्ता तहारूवेहि जाव विपलं पव्वयं सणियं-सणियं दुरुहित्ता दब्भंथारगं संथरित्ता दब्भसंथारोवगए सयमेव पंचमहव्वए उच्चारेत्ता सयक्खंधो-१, अज्झयणं-१
बारस वासाइं सामण्णपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झुसित्ता सद्धिं भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता चंदिम-सूर-गहगण-नक्खत्त-तारारूवाणं बहुइं जोयणाई बहुई जोयणसयाई बहुइं जोयणसहस्साई बहइं जोयणसयसहस्साई बहओ जोयणकोडीओ बहओ जोयणकोडाकोडीओ उड्ढं दूरं उप्पइत्ता सोहम्मीसाण-सणंकमार-माहिंदबंभ-लंतग-महासक्क-सहस्साराणय-पाणयारणच्चए तिण्णि य अट्ठारसुत्तरे गेवेज्जविमाणवाससए वीईवइत्ता विजए महाविमाणे देवत्ताए उववण्णे तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता तत्थ णं मेहस्स वि देवस्स तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिई,
एस णं भंते मेहे देवे ताओ देवलोयाओ आउक्खएणं ठिइक्खएणं भवक्खएणं अनंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिइ कहिं उववज्जिहिइ? गोयमा! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ बज्झिइ मच्चिहिइ परिनिव्वाहिइ सव्वदुक्खाणमंतं काहिइ, एवं खलु जंबू समणेणं भगवया महावीरेणं आइगरेणं तित्थगरेणं जाव सिद्धिगइनामधेज्जं ठाणं संपत्तेणं अप्पोपालंभ-निमित्तं पढमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते, त्ति बेमि ।
• पढमे सुयक्खंधे पढम अज्झयणं समत्तं . • मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च पढमं अज्झयणं समत्तं .
• बीयं अज्झयणं-संघाडे .
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
[30]
[६-नायाधम्मकहाओ]
Loading... Page Navigation 1 ... 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159