Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 64
________________ [८५] तए णं सा मल्ली विदेहरायवरकन्ना उम्मक्कबालभावा जाव रूवेण य जोव्वणेण य लावण्णेण य अईव-अईव उक्किट्ठा उक्किट्ठसरीरा जाया यावि होत्था, तए णं सा मल्ली देसूणवासयजाया ते छप्पि य रायाण विउलेणं ओहिया आभोएमाणी-आभोएमाणी विहरइ तं जहा- पडिबुद्धिं जाव जियसत्तुं पंचालाहिवइ । तए णं सा मल्ली कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ० तुब्भे णं देवाणुप्पिया असोगवणियाए एगं महं मोहणघरे करेह अणेगखंभसयसण्णिविद्वं, तस्स णं मोहणघरस्स बहमज्झदेसभए जालघरयं करेह तस्स णं जालघरयस्स बहमज्झदेसभाए मणिपेढियं करेह जाव पच्चप्पिणंति । तए णं सा मल्ली मणिपेढियाए उवरिं अप्पणो सरिसियं सरित्तयं सरिव्वयं सरिस-लावण्णरूव-जोव्वण-गणोववेयं कणगामइं मत्थयच्छिड्डं पउमप्पल-पिहाणं पडिमं करेइ करेत्ता जं विउलं असणस्यक्खंधो-१, अज्झयणं-८ पाण-खाइम-साइमं आहारेइ तओ मणण्णाओ असण-पाण-खाइम-साइमाओ कल्लाकल्लं एगमेगं पिंडं गहाय तीसे कणगामईए मत्थयछिड्डाए जाव पडिमाए मत्थयंसि पक्खिमाणी-पक्खिवमाणी विहरइ । तए णं तीसे कणगामईए मत्थयछिड़डाए पडिमाए एगमेगंसि पिंडे पक्खिप्पमाणेपक्खिप्पमाणे तओ गंधे पाउब्भवेइ, से जहाणनामए-अहिमडे इ वा जाव एत्तो अणिद्वतराए चेव जाव अमणामतराए चेव । [८६] तेणं कालेणं तेणं समएणं कोसला नामं जणवए, तत्थ णं सागेए नामं नयरे तस्स णं उत्तरपुरत्थिमे दिसीभाए एत्थ णं महेगे नागघरए होत्था-दिव्वे सच्चे सच्चोवाए सण्णिहिय-पाडिहेरे तत्थ णं सागेए नयरे पडिबुद्धी नामं इक्खागरया परिवसइ-पउमावई देवी सुबुद्धी अमच्चे साम-दंड-भयउवप्पयाण-नीति-सुपउत्त-नय-विहण्णू विहरई] । तए णं पउमावईए देवीए अण्णया कयाइ नागजण्णए यावि होत्था तए णं सा पउमावई देवी नागजण्णमवट्ठियं जाणित्ता जेणेव पडिबुद्धि राया करलपरिग्गहियं० एवं वयासी- एवं खलु सामी! मम कल्लं नागजण्णए यावि भविस्सइ तं इच्छामि णं सामी! तुब्भेहिं अब्भणुण्णया समाणी नागजण्णयं गमित्तए, तुब्भे वि णं सामी! मम नागजण्णयंसि समोसरह, तए णं पडिबुद्धी पउमावईए एयमद्वं पडिसुणेइ । ___ तए णं परमावई पडिबुद्धिणा रण्णा अब्भणुण्णाया समाणी हट्टतुट्ठा कोडुबिय-पुरिसे सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी- एवं खल देवाणप्पिया! मम कल्लं नागजण्णए भविस्सइ तं तब्भे मालागारे सद्दावेह सद्दावेत्ता एवं वदह-एवं खल पउमावईए देवीए कल्लं नागजण्णए भविस्सइ तं तब्भे णं देवाणप्पिया! जलथलय० दसद्धवण्णं मल्लं नागघरयंसि साहरह एगं च णं महं सिरिदामगंडं उवणेह ।। तए णं जल-थलय० दसद्धवण्णेणं मल्लेणं नाणाविह-भत्ति विरइयं हंस-मिय-मयूर-कोंचसारस-चक्कवाय-मयणसाल-कोइल-कलोववेयं ईहामिय-जाव भत्तिचित्तं महग्धं महरिहं विउलं पुप्फमंडवं विरएह, तस्स णं बहुमज्झदेसभाए एगं महं सिरिदामगंडं जाव गंधद्धणिं मयंतं उल्लोयंसि ओलंबेह, पउमावई देविं पडिवालेमाणा चिट्ठइ, तए णं ते कोडुबिया जाव पउमावतिं देविं पडिवालेमाणा चिति । तए णं सा पठमावई देवी कल्लं० जाव कोइंबिय परिसे सद्दावेत्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवाणप्पिया! सागेयं नयरं सब्भितरबाहिरियं आसिय-सम्मज्जिओवलित्तं जाव पच्चपिणंति, तए णं सा पउमावई देवी दोच्चंपि कोडुंबिय-पुरिसे सद्दावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव लहुकरणजुत्तं जाव धम्मियं जाणप्पवरं उवट्ठवेह, ते वि तहेव उवट्ठति । [दीपरत्नसागर संशोधितः] [63] [६-नायाधम्मकहाओ]

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