Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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विणएणं पज्जवासमाणा चिट्ठह, जाहे णं से सेलए जक्खे आगयसमए पत्तसमए एवं वएज्जा- कं तारयामि कं पालयामि, ताहे तुब्भे एवं वदह- अम्हे तारयाहि अम्हे पालयाहि, सेलए भे जक्खे परं रयणदीवदेवयाए हत्थाओ साहत्थिं नित्थारेज्जा, अण्णहा भे न याणामि इमेसिं सरीरगाणं का मण्णे आवई भविस्सइ ।
तए णं ते मागंदिय-दारगा तस्स सूलाइयस्स परिसस्स अंतिए एयमढे सोच्चा निसम्मा सिग्घं चंडं चवलं तुरियं चेइयं जेणेव पुरथिमिल्ले वणसंडे जेणेव पोक्खरिणी तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता पोक्खरिणी ओगाहेंति ओगाहेत्ता जलमज्जणं करेंति करेत्ता जाई तत्थ उप्पलाई जाव ताई गेण्हति गेण्हित्ता जेणेव सेलगस्स जक्खस्स जक्खाययणे तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता आलोए पणाम करेंति करेत्ता महरिहं पुप्फच्चणियं करेंति करेत्ता जन्नुपायवडिया सुस्सूसमाणा नमसमाणा पज्जुवासंति
तए णं से सेलए जक्खे आगयसमए पत्तसमए एवं वयासी- कं तारयमि कं पालयामि? तए णं ते मागंदिय-दारगा उट्ठाए उडेति उद्वेत्ता करयल० एवं वयासी-अम्हे तारयाहि अम्हे पालयाहि, तए णं से सेलए जक्खे ते मागंदिय-दारए एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! तुब्भं मए सद्धिं लवणसमुई मज्झंमज्झेणं वीईवयमाणाणं सा रयणदीवदेवया पावा चंडा रुद्दा खुद्दा साहसिया बहूहिं खरएहि य मउएहि य अणुलोमेहि य पडिलोमेहि य सिंगारेहि य कलुणेहि य उवसग्गेहि उवसग्गं करेहिइ तं जड़ णं तब्भे देवाणुप्पिया! रयणदीवदेवयाए एयमटुं आढाह वा परियाणहा वा अवयेक्खह वा तो भे अहं पिट्ठाओ विहणामि, अह णं तुब्भे रयणदीवदेवयाए एयमद्वं नो आढाह नो परियाणह नो अवयक्खह तो भे रयणदीवदेवयाएहत्थाओ साहत्यिं नित्थारेमि ।
तए णं ते मागंदिय-दारगा सेलगं जक्खं एवं वयासी- जं णं देवाणप्पिया! वइस्संति तस्स णं आणा उववाय-वयण-निद्देसे चिहिस्साओ, तए णं से सेलए जक्खे उत्तरपत्थिमं दिसीभागं अवक्कमइ अवक्कमित्ता वेउव्विसमग्घाएणं समोहण्णइ समोहणित्ता संखेज्जाई जोयणाई दंड निस्सरइ दोच्चंपि वेउव्वियसमग्घाएणं समोहण्णइ समोहणित्ता एगं महं आसरूवं विउव्वइ विउव्वित्ता मागंदिय-दारए एवं वयासी-हंभो मागंदिय-दारया! आरुह णं देवाणप्पिया! मम पटुंसि,
तए ते मादंगियदारया हट्ठा सेलगस्स जक्खस्स पणामं करेंति करेत्ता सेलगस्स पिटुं दुरूढा, तए णं से सेलए ते मागंदिय-दारए पट्टे दुढे जाणित्ता सत्तद्वतलप्पमाणमेत्ताई उड्ढवेहासं उप्पयइ उप्पइत्ता ताए उक्किट्ठाए तुरियाए० दिव्वाए देवगईए लवणसमुदं मज्झंमज्झेणं जेणेव जंबुद्दीवे दीवे जेणेव भारहे वासे जेणेव चंपानयरी तेणेव पहारेत्थ गमणाए ।
[१२५] तए णं सा रयणदीवदेवया लवणसमदं तिसत्तखुत्तो अनुपरियट्टइ जं तत्थ तणं वा जाव एगते एडेइ, जेणेव पासायवडेंसए तेणेव उवागच्छद उवागच्छित्ता ते मागंदिय-धारए पासायवडेंसए सुयक्खंधो-१, अज्झयणं-९
अपासमाणी जेणेव पुरथिमिल्ले वणसंडे जाव सव्वओ समंता मग्गण-गवेसणं करेइ करेत्ता तेसिं मागंदिय-दारगाणं कत्थइ सुई वा० अलभ-माणी जेणेव उत्तरिल्ले एवं चेव पच्चत्थिमिल्लेवि जाव अपासमाणी ओहिं पउंजइ, ते मागंदिय-दारए सेलएणं सद्धिं लवणसमुई मज्झं-मज्झेणं वीइवयमाणे पासइ पासित्ता आसुरुत्ता असिखेडगं गेण्हइ गेण्हित्ता सत्तट्ट जाव उप्पयइ उप्पइत्ता ताए उक्किट्ठाए देवगईए जेणेव मागंदिय-दारया तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता एवं वयासी
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
[86]
[६-नायाधम्मकहाओ]
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