Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 85
________________ [११४] तत्थ उ-कंदल-सिलिंध-दंतो निउस-वरपप्फपीवरकरो । कुडयज्जुण-नीव-सुरभिदाणो पाउसउऊ गयवरोसाहीणो ।। [११५] तत्थ य-सुरगोवमणि-विचित्तो दद्दरकुलरसिय-उज्झररवो । बरहिणवंद-परिणद्धसिरहो वासारत्तउऊ पव्वओ साहीणो ।। [११६] तत्थ णं तुब्भे देवाणुप्पिया! बहूसु वावीसु य जाव सरसरपंतियासु य बहूसु आलीघरएसु य मालीघरएसु य जाव कुसुमघरएसु य सुहंसुहेणं अभिरममाणा अभिरमाणा विहरिज्जाह, जइ णं तुब्भे तत्थ वि उव्विग्गा वा उस्सुया वा उप्पुया वा भवेज्जाह तो णं तुब्भे उत्तरिल्लं वणसंडं गच्छेज्जाह, तत्थ णं दो ऊऊ सया साहीणा तं जहा- सरदो य हेमंतो य । [११७] तत्थ उ-सण-सत्तिवण्ण-कहो नीलुप्पल-पउम-नलिण-सिंगो । सारस-चक्काय-रवियघोसो सरयउऊ गोवई साहीणो । [११७] तत्थ उ-सण-सत्तिवण्ण-कउहो नीलप्पल-पउम-नलिण-सिंगो । सारस-चक्काय-रवियघोसो सरयउऊ गोवई साहीणो । [११८] तत्थ य-सियकंद-धवलजोण्हो कुसुमिय-लोद्धवणसंड-मंडलतलो । तुसार-दगधार-पीवरकरो हेमंतउऊ ससी सया साहीणो ।। [११९] तत्थ णं तुब्भे देवाणुप्पिया! बावीसु य जाव विहरिज्जाह, जइ णं तुब्भे तत्थवि उव्विग्गा वा जाव उस्स्या वा भवेज्जाह तो णं तब्भे अवरिल्लं वणसंडं गच्छेज्जाह, तत्थ णं दो ऊऊ सया साहीणा, तं जहा- वसंते य गिम्हे य । [१२०] तत्थ उ-सहकार-चारुहारो किंस्य-कण्णियारासोगमउडो । ऊसियतिलग-बकुलायवत्तो वसंतउऊ नरवई साहीणो ।। [१२१] तत्थ य-पाडल-सिरीस सलिलो मल्लिया-वासंतिय-धवलवेलो । सीयलसुरभि-निल-मगरचरिओ गिम्हउऊ सागरोसाहीणो ।। [१२२] तत्थ णं बहसु जाव विहरेज्जाए, जइ णं तुब्भे देवाणुप्पिया! तत्थ वि उव्विग्गा वा उस्सुया वा भवेज्जाह, तओ तुब्भे जेणेव पासयव.सए तेणेव उवागच्छेज्जाह, ममं पडिवालेमाणापडिवालेमाणा चिद्वेज्जाह, मा णं तब्भे दक्खिणिल्ले वणसंडं गच्छेज्जाह, तत्थ णं महं एगे उग्गविसे चंडविसे घोरविसे महाविसे अइकाए महाकाए जहा तेयनिसग्गे मसि-महिस-मूसा-कालए नयणविसरोसपुन्ने नयणविसरोसपुण्णे अंजणपुंजनियरप्पगासे रत्तच्छे जमलजुयल-चंचल चलंतजीहे धरणियल वेणिभूए उक्कड- फुड-कडिल-जल- कक्खड-वियड-फडाडोव-करणसुयक्खंधो-१, अज्झयणं-९ दच्छे लोहागरधम्ममाण-धमधमेंतघोसे अणागलिय-चंडतिव्वरोसे समहिय-तुरिय-चवलं धमंते दिट्ठीविसे सप्पेय परिवसइ, मा णं तुब्भं सरीरगस्स वावत्ती भविस्सइ ते मागंदिय-दारए दोच्चपि तच्चपि एवं वदति वदित्ता वेउव्वियसमग्घाएणं समोहण्णइ समोहणित्ता ताए उक्किट्ठाए देवगईए लवणसमुई तिसत्तखुत्तो अनुपरियट्टेउं पयत्ता यावि होत्था । [१२३] तए णं ते मागंदिय-दारया तंतरस्स पासायवडेंसए सई वा रइं वा धिई वा अलभमाणा अण्णमण्णं एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया! रयणदीवदेवया अम्हे एवं वयासी [दीपरत्नसागर संशोधितः] [84] [६-नायाधम्मकहाओ]

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