Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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तए णं मल्ली विदेहरायवरकन्ना चोक्खं परिव्वाइयं एवं वयासी- चोक्खे! से जहानामए केई परिसे रूहिरकयं वत्थं रूहिरेणं चेव धोवेज्जा अत्थि णं चोक्खे! तस्स रूहिरकयस्स वत्थस्स रूहिरेणं धोव्वमाणस्स काइ सोही नो इणढे समढे, एवामेव चोक्खे! तब्भण्णं पाणाइवाएणं जाव मिच्छादसणसल्लेणं नत्थि काइ सोही, जहा तस्स रूहिरकयस्स वत्थस्स रूहिरेणं चेव धोव्वमाणस्स तए णं सा चोक्खा परिव्वाइया मल्लीए विदेह० एवं वृत्ता समाणी संकिया कंखिया वितिगिछिया भेयसमावण्णा जाया यावि होत्था, मल्लीए नो संचाएइ किंचिवि पामोक्खमाइक्खित्तए तसिणीया संचिट्ठइ ।।
तए णं तं चोक्खं मल्लीए बहओ दासचेडीओ हीलेंति निंदंति खिसंति गरिहंति अप्पेगइयाओ हेरुयालेति अप्पेगइयाओ महमक्कडियाओ करेंति अप्पेगइयाओ वग्घाडियाओ करेंति अप्पेगइयाओ तज्जेमाणीओ तालेमाणीओ निच्छहंति, तए णं सा चोक्खा मल्लीए विदेहरायवरकन्नाए दासचेडियाहिं गरहिज्जमाणी हीलिज्जमाणी आसुरुत्ता जाव मिसिमिसेमामी मल्लीए विदेहरायवरकन्नयाए पओसमावज्जइ, भिसियं गेण्हइ गेण्हित्ता कन्नतेउराओ पडिणिक्खमई पडिणक्खमित्ता मिहिलाओ निग्गच्छइ निग्गच्छित्ता परिव्वाइया-संपरिवडा जेणेव पंचाल ज-णवए जेणेव कंपिल्लपुरे० बहूणं राईसर जाव परूवेमाणी विहरइ ।
तए णं से जिसत्तू अण्णया कयाइ अंतो अंतेउर-परियाल-सद्धिं संपरिडे सीहासणवरगए यावि विहरइ, तए णं सा चोक्खा परिव्वाइया-संपरिवडा जेणेव जियसत्तुस्स रण्णो भवणे जेणेव जियसत्तू राया तेणेव अनुपविसइ अनुपविसित्ता जियसत्तु जएणं विजएणं वद्धावेइ ।
तए णं से जियसत्तू चोक्खं परिव्वाइयं एज्जमाणं पासइ पासित्ता सीहासणाओ अब्भुढेइ अब्भुट्ठछेत्ता चोक्खं सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता आसणेण उवनिमंतेइ, तए णं सा चोक्खा स्यक्खंधो-१, अज्झयणं-८
उदगपरिफोसियाए दब्भोवरि पच्चत्थुयाए भिसियाए निविसइ निविसित्ता जियसत्तुं रायं रज्जे य जाव अंतउरे य कुसलोदंतं पुच्छइ, तए णं सा चोक्खा जियसत्तुस्स रण्णो दाणधम्मं जाव उवदंसेमाणी विहरइ
तए णं से जियसत्तू अप्पणो ओरोहंसि जाव विम्हए चोक्खं एवं वयासी- तमं णं देवाणप्पिया! बहणि गामागर जाव सण्णिवेसंसि आहिंसि बहण य राईसर-सत्थवाहप्पभिईणं गिहाई अनप्पविससि तं अत्थियाइं ते कस्सइ रण्णो वा जाव एरिसए ओरोहे दिट्ठपव्वे जारिसए णं इमे मम उवरोहे?
तए णं सा चोक्खा परिव्वाइया जियसत्तुणा एवं वत्ता समाणी ईसिं विहसियं करेइ करेत्ता एवं वयासी- सरिसए णं तुम देवाणुप्पिया! तस्स अगडदडुरस्स? के णं देवाणुप्पिए! से अगडदडुरे?
जियसत्तू! से जहानामए अगडदडुरे सिया, से णं तत्थ जाए तत्थेव वुड्ढे अण्णं अगडं वा तलागं वा दहं वा सरं वा सागरं वा अपासमाणे मण्णइ- अयं चेव अगडे वा जाव सागरे वा, तए णं तं कूवं अण्णे सामुद्दए दद्दुरे हव्वमागए, तए णं से कूवदद्दुरे तं सामुद्दयं दद्दुरं एवं वयासी- से केस तुमं देवाणुप्पिया! कत्तो वा इह हव्वमागए? तए णं सामुद्दएदद्दुरे तं कूवदडुरं एवं वयासी- एवं खलु
प्पिया! अहं सामद्दए दद्दरे तए णं से कवदद्दरे तं सामद्दयं दद्दरं एवं वयासी- केमहालए णं देवणप्पिया! से समुद्दे? तए णं से सामुद्दए दडुरे तं कूवदडुरं एवं वयासीए- महालए णं देवाणप्पिया! से समुद्दे? । [दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[६-नायाधम्मकहाओ]
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