Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 79
________________ तए णं ते जंभगा देवा वेसमणेणं देवेणं एवं वुत्ता समाणा जाव पडिसुणेत्ता उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं अवक्कमति जाव उत्तरवेउव्वियाई रूवाइं विउव्वंति विउव्वित्ता ताए उक्किट्ठाए जाव देवगईए वीईवयमाणा-वीईवयमाणा जेणेव जंबद्दीवे दीवे भारहे वासे जेणेव मिहिला रायहाणी जेणेव कंभगस्स रण्णो भवणे तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता कुंभगस्स रण्णो भवणंसि तिण्णि कोडिसया जाव साहरंति साहरित्ता जेणेव वेसमणे देवे तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता करयल जाव पच्चप्पिणंति । तए णं से वेसमणे देवे जेणेव सक्के देविंदे देवराया तेणेव उवाग्च्छड उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहियं जाव तमाणत्तियं पच्चप्पिणइ । तए णं मल्ली अरहा कल्लाकल्लिं जाव मागहओ पायरासो त्ति बहणं सणाहाण य अणाहाण य पंथियाण य पहियाण य करोडियाण य कप्पडियाण य एगमेगं हिरण्णकोडिं अट्ठ य अणणाई सयसहस्साई इमेयारूवं अत्थ-संपयाणं दलयइ । तए णं से कुंभए राया मिहिलाए रायहाणीए तत्थ-तत्थ तहिं-तहिं देसे-देसे बहूओ महाणससालाओ करेइ तत्थ णं बहवे मण्या दिण्णभइ-भत्त-वेयणा विउलं असण-पाण-खाइम-साइम उवक्खडेंति जे जहा आगच्छंति तं जहा- पंथिया वा पहिया वाकरोडिया वा कप्पडिया वा पसंडत्था वा गिहत्था वा तस्स य तहा आसत्थस्स वीसत्थस्स सुहासण-वरगयस्स तं विउलं असण-पाण-खाइम-साइमं परिभाएमाणा परिवेसेमाणा विहरंति तए णं मिहिलाए नयरीए सिंघाडग जाव महापहपहेसु बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खड़ एवं खलु देवाणुप्पियाकुंभगस्स रण्णो भवणंसि सव्वाकामगुणियं किमिच्छियं विपुलं असण-पाण-खाइम-साइमं बहूणं समणाण य जाव कप्पडि-याणं य परिवेसिज्जइ । [९९] वरवरिया घोसिज्जइ किमिच्छियं दिज्जए बहविहीयं । सुर-असुर देव-दानव नरिंद-महियाण निक्खमणे ।। [१००] तए णं मल्ली अरहा संवच्छरेणं तिण्णि कोडिसया अट्ठासीइं च कोडीओ असीइं सयसहस्साइं-इमेयारूवं अत्थ-संपयाणं दलइत्ता निक्खमामि त्ति मणं पहारेइ । [१०१] तेणं कालेणं तेणं समएणं लोगंतिया देवा बंभलोए कप्पे रिटे विमाणपत्थडे सएहिंसएहिं विमाणेहिं सएहिं-सएहिं पासायवडिसएहिं पत्तेय-पत्तेयं चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं तिहिं परिसाहिं सत्तहिं अणिएहिं सत्तहिं अणियाहिवईहिं सोलसहिं आयरक्खदेवसाहस्सीहिं अण्णेहि य बहुहिं लोगतिएहिं स्यक्खंधो-१, अज्झयणं-८ देवेहिं सद्धिं संपरिवुडा महयाऽहय-नट्ट-गीय-वाइय- जाव रवेणं विउलाई भोगभोगाइं भुंजमाणा विहरंति । [१०२] सारस्सयमाइच्चा वण्ही वरुणा य गद्दतोया य । तुसिया अव्वाबाहा अग्गिच्चा चेव रिट्ठा य ।। [१०३] तए णं तेसिं लोगंतियाणं देवाणं पत्तेयं-पत्तेयं आसणाई चलंति तहेव जाव तं अरहंताणं निक्खममाणाणं संबोहणं करित्तए त्ति तं गच्छामो णं अम्हे वि मल्लिस्स अरहओ संबोहणं करेमो त्ति कट्ट एवं संपेहेंति संपेहेत्ता उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं अवक्कमित्ता वेठव्वियसमुग्धाएणं समोहणंति समोहणित्ता संखेज्जाइं जोयणाइं दंड निसीरंति एवं जहा जंभगा जाव जेणेव मिहिला रायहाणी जेणेव कुंभगस्स रण्णो भवणे जेणेव मल्ली अरहा तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता अंतलिक्खपडिवण्णा सखिखिणियाइं जाव वत्थाई पवर परिहिया करयल० जाव ताहिं इट्ठाहिं जाव एवं वयासी- बज्झाहि भगवं! [दीपरत्नसागर संशोधितः] [78] [६-नायाधम्मकहाओ]

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