Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 65
________________ तए णं सा पउमावई देवी अंतो अंतेउरंसि बहाया जाव धम्मियं जाणं दुरुढा, तए णं सा पउमावई देवी नियग-परियाल-संपरिवडा सागेयं नयरं मज्झमज्झेणं निज्जाइ जेणेव पोक्खरणी तेणेव उवागच्छद उवागच्छित्ता पोक्खरणिं ओगाहति ओगाहित्ता जलमज्जणं करेइ जाव परमसुइभूया उल्लपडसाडया जाइं तत्थ उप्पलाइं जाव ताई गेण्हइ, जेणेव नागघरए तेणेव पहारेत्थ गमणाए, तए णं पउमावईए देवीए दासचेडीओ बहूओ पुप्फपडलग-हत्थगयाओ धूवकडच्छुय-हत्थगयाओ पिट्ठओ समणुगच्छंति । तए णं पउमावई देवी सव्विड्ढीए जेणेव नागघरए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता नागघरं अनप्पविसइ लोमहत्थगं परामसइ जाव धूवं डहइ पडिबुद्धिं पडिवालेमाणी-पडिवालेमाणी चिट्ठइ । तए णं से पडिबुद्धि बहाए हत्थिखंधवरगए सकोरेंट जाव सेयवरचामराहिं वीइज्जमाणे हयस्यक्खंधो-१, अज्झयणं-८ गय-रह-पवरजोहकलियाए० महया भडचडगर-रह-पहकर-विंदपरिविक्खत्ते सागेयं नगरं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ निग्गच्छित्ता जेणेव नागघरए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता हत्थिखंधाओ पच्चोरुहइ पच्चोरुहित्ता आलोए पणामं करेइ करेत्ता पुप्फमंडवं अनुप्पविसइ अनुप्पविसित्ता पासइ तं एगं महं सिरिदामगंडं । तए णं पडिबुद्धी तं सिरिदामगंडं सुचिरं कालं निरिक्खड़ तंसि सिरिदामगंडंसि जायविम्हए सुबुद्धिं अमच्चं एवं वयासी-तुमं देवाणुप्पिया मम दोच्चेणं बहूणि गामागर जाव सण्णिवेसाई आहिडंसि बहणं य राईसर जाव सत्थवाहपभिईणं गिहाई अनप्पविससि तं अत्थि णं तुमे कहिंचि एरिसए सिरिदामगंडे दिद्वपव्वे जारिसए णं इमे पउमावईए देवीए सिरिदामगंडे? तए णं सुबुद्धी पडिबुद्धिं रायं एवं वयासी- एवं खल सामी अहं अण्णया कयाइ तब्भं दोच्चेणं मिहिलं रायहाणिं गए तत्थ णं मए कंभयस्स रण्णो धूयाए पभावईए देवीए अत्तयाए मल्लीए संवच्छरपडिलेहणगंसि दिव्वे सिरिदामगंडे दिट्ठपव्वे तस्स णं सिरिदामगंडस्स इमे पउमावईए देवीए सिरीदामगंडे सयसहस्स-इमंपि कलं न अग्घइ, तए णं पडिबुद्धी सबुद्धिं अमच्चं एवं वयासी- केरिसिया णं देवाणप्पिया! मल्ली विदेहरायवरकन्ना जस्स णं संवच्छर-पडिलेहणयंसि सिरिदामगंडस्स पउमावईए देवीए सिरिदामगंडे सयसहस्सइमंपि कालं न अग्घइ तए णं सुबुद्धी पडिबुद्धिं इक्खागरायं एवं वयासी-एवं खलु सामी मल्ली विदेहरायवरकन्ना सुपइट्ठियकुम्मुण्णय-चारुचरणा जाव पडिरूवा । तए णं पडिबुद्धो सुबुद्धिस्स अमच्चस्स अंतिए एयमहूँ सोच्चा निसम्म सिरिदामगंडंजणियहासे दूयं सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी- गच्छाहि णं तमं देवाणप्पिया! मिहिलं रायहाणिं तत्थ णं कंभगस्स रण्णो धूयं पभावईए अत्तयं मल्लिं विदेहरायवरकन्नं मम भारियत्ताए वरेहि जइ वि य णं सा सयं रज्जसुंका, तए णं से दूए पडिबुद्धिणा रण्णा एवं वुत्ते समाणे हद्वतुढे पडिसुणेइ पडिसुणेत्ता जेणेव सए गिहे जेणेव चाउग्घंटे आसरहे तेणेव उवागच्छद उवागच्छित्ता चाउग्धं आसरहं पडिकप्पावेइ पडिकप्पावेत्ता दुरूढे हय-गय-जाव महया भड-वडगरेणं साएयाओ निग्गच्छद निग्गच्छित्ता जेणेव विदेहजणवए जेणेव मिहिला रायहाणी तेणेव पहारेत्थ गमणाए । ८७] तेणं कालेणं तेमं समएणं अंगनामं जणवए होत्था, तत्थ णं चंपा नामं नयरी होत्था, तत्थं णं चंपाए नयरीए चंदच्छाए अंगराया होत्था, तत्थं णं चंपाए नयरीए अरहण्णगपामोक्खा बहवे [दीपरत्नसागर संशोधितः] [64] [६-नायाधम्मकहाओ]

Loading...

Page Navigation
1 ... 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159