Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
View full book text ________________
कुसेहि य वेढेइ वेढेत्ता मट्टियालेवेणं लिंपइ लिंपित्ता उण्हे सक्कं समाणं तच्चपि दब्भेहि य कुसेहि य वेढेइ मट्टियालेवेणं लिंपइ० एवं खलु एएणुवाएणं अंतरा वेढेमाणे अंतरा लिंपमाणे अंतरा सुक्कवेमाणे जाव अट्ठहिं मट्टियालेवेहिं आलिंपइ, अत्याहमतारमपोरिसियंसि उदगंसि पक्खिवेज्जा, से नूणं गोयमा! से तुंबे स्यक्खंधो-१, अज्झयणं-६
तेसिं अट्ठण्हं मट्टियालेवेणं गरुययाए भारिययाए गरुय-भारिययाए उप्पिं सलिलमइवइत्ता अहे धरणियलपइट्ठाणे भवइ,
एवामेव गोयमा! जीवा वि पाणाइवाएणं जाव मिच्छादसणसल्लेणं अनपव्वेणं अट्ठ कम्मपगडीओ समज्जिणित्ता, तासिं गरुययाए भारिययाए गरुय-भारिययाए कालमासे कालं किच्चा धरणियलमइवइत्ता अहे नरगतल-पइट्ठाणा भवंति, एवं खल गोयमा! जीवा गरुयत्तं हव्वमागच्छति ।
अह णं गोयमा! से तंबे तंसि पढमिल्लगंसि मट्टियालेवंसि तित्तंसि कुहियंसि परिसडियंसि ईसिं धरणियलाओ उप्पतित्ता णं चिट्ठइ, तयाणंतरं दोच्चं पि मट्टियालेवे जाव उप्पत्तित्ता णं चिट्ठइ, एवं खलु एएणं उवाएणं तेसु अट्ठसु मट्टियालेवेसु तिन्नेसु जाव विमुक्कबंधणे अहे धरणियलमइवइत्ता उप्पिं सलिलतलं-पइहाणे भवइ,
एवामेव गोयमा जीवा पाणाइवायवेरमणेणं जाव मिच्छादसणसल्ल वेरमणेणं अनपव्वेणं अट्ठकम्मपगडीओ खवेत्ता गगणतलमुप्पइत्ता उप्पिं लोयग्ग-पइट्ठाणा भवंति एवं खल गोयमा! जीवा लह्यत्तं हव्वमागच्छति ।
एवं खलं जंबू! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं छहस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते त्ति बेमि ।
• पढमे सयक्खंधे छर्ट अज्झयणं समत्तं . • मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च छ8 अज्झयणं समत्तं .
० सत्तमं अज्झयणं-रोहिणी . [७५] जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं० छट्ठस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते सत्तमस्स णं भंते! नायज्झयणस्स के अढे पन्नत्ते?
एवं खल जंब! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे होत्था, सभूमिभागे उज्जाणे, तत्थ णं रायगिहे नयरे धणे नामं सत्थवाहे परिवसइ, अड्ढे जाव अपरिभूए, भद्दा भारियाअहीणपंचिंदियसरीरा जाव सुरुवा, तस्स णं धणस्स सत्थवाहस्स पत्ता भद्दाए भारियाए अत्तया चत्तारि सत्थवाहदारगा होत्था तं जहा- धणपाले धणदेवे धणगोवे धणरक्खिए तस्स णं धणस्स सत्थवाहस्स चउण्हं पत्ताणं भारियाओ चत्तारि सुण्हाओ होत्था तं जहा- उज्झिया भोगवइया रक्खिया रोहिणिया ।
तए णं तस्स धणस्स सत्थवाहस्स अण्णया कयाइ पव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि इमेयारूवे जाव समुप्पज्जित्था-एवं खलु अहं रायगिहे नयरे बहूणं ईसर जाव पभितीणं सयस्स य कुटुंबस्स बहूसु कज्जेसु य कारणेसु य कोडुबेसु य मंतेसु य गुज्झेसु य रहस्सेसु य निच्छएसु य ववहारेसु य आपुच्छणिज्जे पडिपुच्छणिज्जे मेढी पमाणं आहारे आलंबणे चक्खू मेढीभूत्ते पमाणभूते आहारभूते आलंवणभूते चक्खूभूए सव्वकज्जवड्ढावए तं न नज्जड़ णं मए गयंसि वा चुर्यसि वा मयंसि वा भग्गंसि
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
[55]
[६-नायाधम्मकहाओ]
Loading... Page Navigation 1 ... 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159