Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 60
________________ तणं से धणे सत्थवाहे रक्खियाए अंतियं एयमट्ठे सोच्चा हट्ठतुट्ठे तस्स कुलघरस्स हिरण्णस्स य कंस-दूस- विपुल धण - जाव- सावएज्जस्स य भंडागारिणी ठवेइ । एवामेव समणाउसो! जाव पंच य से महव्वयाइं रक्खियाइं भवंति से णं इह भवे चेव बहूणं समणाणं० अच्चणिज्जे जहा जाव सा रक्खिया, रोहिणीया वि एवं चेव नवरं तुब्भे ताओ मम सुबहुयं सगडि - सागडं दलाहि जेणं अहं भं ते पंच सालिअक्खे पडिनिज्जाएमि ? तए णं से धणे सत्थवाहे रोहिणिं एवं वयासी- कहं णं तुमं पुत्ता ते पंच सालिअक्खए सगडि - सगडेणं निज्जाइस्ससि ? सुयक्खंधो-१, अज्झयणं-७ तणं सा रोहिणी घणं सत्थवाहं एवं वयासी एवं खलु ताओ! तुब्भे इओ अतीते पंच संवच्छरे इमस्स मित्त- जाव बहवे कुंभसया जाया तेणेव कमेण एवं खलु ताओ! तुब्भे ते पंच सालिअक्खए सगडिसागडेणं निज्जामि तए णं से धणे सत्थवाहे रोहिणीयाए सुबहुयं सगडि-सागडं दलाति तए णं से रोहिणी सुबहुं सगडि - सागडं गहाय जेणेव सए कुलघरे तेणेव उवागच्छन् उवागच्छित्ता कोट्ठागारे विहाडेइ विहाडित्ता पल्ले उब्भिंदइ उब्भिंदित्ता सगडि - सागडं भरेइ भरेत्ता रायगिहं नगरं मज्झंमज्झेणं जेणेव सए गिहे जेणेव घणे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छइ तए णं रायगिहे नयरे सिंधाडगजाव पहेसु बहुजणो अण्णमण्णं एवमाइक्खइ-धणे णं देवाणुप्पिया! धणे सत्थवाहे जस्सणं रोहिणीया सुण्हा पंच सालिअक्खए सगडि - सागडेणं निज्जाएइ । तणं से धणे सत्थवाहे ते पंच सालिअक्खए सगडि - सागडेणं निज्जाइए पासइ पासित्ता हट्ठतुट्ठे पडिच्छइ पडिच्छित्ता तस्सेव मित्त-नाइ० चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरवग्गस्स पुरओ रोहिणीयं सुण्हं बहू कज्जेसु य जाव रहस्सेसु य आपुच्छणिज्जं जाव वड्ढावियं पमाणभूयं ठवेइ । . एवामेव समणाउसो! जाव पंच से महव्वया संवड्ढिया भवंति से णं इहभवे चेव बहूणं समणांणं० जाव चाउरंतं संसारकंतारं वीइवइस्सइ जहा व सा रोहिणीया । एवं खलु जंबू! समणेणं भगवया महावीरेणं सत्तमस्स नायज्झयणस्स अयमट्ठे पन्नत्ते, त्ति बेमि । • पढमे सुयक्खंधे सत्तमं अज्झयणं समत्तं • मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च सत्तमं अज्झयणं समत्तं • अट्ठमं अज्झयणं [ ७६ ] जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं० सत्तमस्स नायज्झयणस्स अयमट्ठे पन्नत्ते अट्ठमस्स णं भंते! के अट्ठे पन्नत्ते? एवं खलु जंबू तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमेणं निसढस्स वासहरपव्वयस्स उत्तरेणं सीओदाए महानदीए दाहिणेणं सुहावहस्स वक्खारपव्वयस्स पच्चत्थिमेणं पच्चत्थिमल-वणसमुद्दस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं सलिलावई नामं विज पन्नत्ते तत्थ णं सलिलावईविजए वीयसोगा नामं रायहाणी नवजोयणवित्थिण्णा जाव पच्चक्खणं देवलोगभूया । [दीपरत्नसागर संशोधितः ] ० [59] ० o [६-नायाधम्मकहाओ]

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