Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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तुब्भे णं देवाणुप्पिया एए पंच सालिअक्खए गेण्हइ गेण्हित्ता पढमपाउसंसि महाडिकायंसि निवइयंसि समाणंसि खुड्डागं केयारं सपरिकम्मियं करेह करेत्ता इमे पंच सालिअक्खए वावेह वावेत्ता दोच्चं पि तच्चं पि उक्खयनिहए करेह करेत्ता वाडिपक्खेवं करेह करेत्ता सारक्खमाणा संगोवेमाणे आनुपुव्वेणं संवड्ढेह ।
तए णं ते कोडुबिया रोहिणिए एयमढें पडिसुणेति ते पंच सालिअक्खए गेहंति अनुपुव्वेणं सयक्खंधो-१, अज्झयणं-७
सारक्खंति संगोविंति, तए णं कोडु-बिया पढमपाउसंसि महावुढिकायंसि निवइयंसि समाणंसि खुड्डागं केयारं सपरिकम्मियं करेंति ते पंच सालिअक्खए ववंति दोच्चं पि तच्चं पि उक्खए-निहए करेंति वाडिपरिक्खेवं करेंति अनपव्वेणं सारक्खेमाणा संगोवेमाणा संवड्ढेमाणा विहरंति ।।
तए णं ते साली अनपव्वेणं सारक्खिज्जमाणा संगोविज्जमाणा संवढिज्जमाणा साली जाया-किण्हा किण्होभासा जाव निउरंबभया पासाईया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा ।
तए णं ते साली पत्तिया वत्तिया गब्भिया पसूइया आगयगंधा खीराइया बद्धफला पक्का परियागया सल्लइया पत्तइया हरिय-पवक्कंडा जाया जाया यावि होत्था, तए णं ते कोइंबिया ते साली पत्तिए जाव परियागए सल्लइय-पत्तइए जाणित्ता तिक्खेहिं नवपज्जणएहिं असियएहिं लुणंति लुणित्ता करयलमलिए करेंति करेत्ता पुणंति, तत्थ णं चोक्खाणं सूइयाणं अखंडाणं अफुड़ियाणं छड्डछडापूयाण सालीणं मागहए पत्थए जाए ।
तए णं ते कोइंबिया ते साली नवएस घडएस् पक्खिवंति पक्खिवित्ता ओलिंपति ओलिंपित्ता लंछिय-मुद्दिए करेंति करेत्ता कोट्ठागारस्स एगदेसंसि ठावेंति ठावेत्ता सारक्खेमाणा संगोवेमाणा विहरंति ।
तए णं इंबिया दोच्चंसि वासारत्तंसि पढमपाउसंसि महावट्टिकायंसि निवइयंसि समाणंसि खुड्डागं केयारं सुपरिकम्मियं करेंति ते साली ववंति दोच्चंपि उक्खाय-निहए करेंति जाव असिएहिं लुणंति लुणित्ता चलणतलमलिए करेंति करेत्ता पुणंति तत्थ णं सालीणं बहवे कुडवा जाव एगदेसंसि ठावेंति ठावेत्ता सारक्खमाणा संगोवेमाणा विहरंति ।
तए णं ते कोडुबिया तच्चंसि वासारत्तंसि महावुट्टिकायंसि बहवे केयारे सुपरिकम्मिए करेंति जाव लुणंति लुणित्ता संवहति संवहित्ता खलयं करेति, मलेति जाव बहवे कुंभा जाया, तए णं ते कोइंबिया ते साली कोट्ठागारंसि पल्लंसि पक्खिवंति जाव विहरंति, चउत्थे वासारत्ते बहवे कभसया जाया ।
तए णं तस्स धणस्स पंचमयंसि संवच्छरंसि परिणममाणंसि पव्वरत्तावरत्त-कालसमयंसि इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था- एवं खलु मए इओ अतीते पंचमे संवच्छरे चउण्हं सुण्हाणं परिक्खणवायाए ते पंच-पंच सालिअक्खया हत्थे दिन्ना, तं सेयं खलु मम कल्लं जाव जलंते पंच सालिअक्खए परिजाइत्ताए जाव जाणामि ताव काए किह सारक्खिया वा संगोविया वा संवढिया वा त्ति कट्ट एवं संपेहेइ संपेहेत्ता कल्लं जाव जलते विपुलं असणं० जाव मित्त-नाइ० चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरवग्गं जाव सम्माणित्ता तस्सेव मित्त-जाव परियणस्स चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरवग्गस्स पुरओ जेहूं उज्झियं सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी
____ एवं खलु अहं पुत्ता! इओ अतीते पंचमंमि संवच्छरे इमस्स मित्त-जाव परियणस्स चउण्हं य सुण्हाणं कुलघरवग्गस्स य पुरओ तव हत्थंसि पंच सालिअक्खए दलयामि जया णं अहं पुत्ता एए पंच [दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[६-नायाधम्मकहाओ]
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