Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 57
________________ व लग्गसि वा सडियंसि वा पडियंसि वा विदेसत्थंसि वा विप्पवसियंसि वा इमस्स कुडुवस्स के मन्ने आहारे वा आलंबे वा पडिबंधे वा भविस्सइ? तं सेयं खलु मम कल्लं जाव दिणयरे तेयसा जलंते विपलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेत्ता मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि-परियणं चउण्ह य सण्हाणं कुलघरवग्गं आमंतेत्ता तं मित्तस्यक्खंधो-१, अज्झयणं-७ नाइ-नियग-सयण-संबंधि-परियण चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरवग्गं विप्लेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं धूवपुप्फ-वत्थ-गंध-मल्लालंकारेणं य सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता तस्सेव मित्त-नाइ-जाव चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरवग्गस्स पुरओ चउण्हं सुण्हाणं परिक्खणट्ठयाए पंच-पंच सालिअक्खए दलइत्ता जाणामि ताव का किह वा सारक्खेइ वा संगोवेइ वा संवड्ढेइ वा? एवं संपेहेइ संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए जाव मित्त-नाति० जाव चउण्हं य सण्हाणं कुलघरवग्गं आमंतेइ आमंतेत्ता विप्लं असनं० उवक्खडावेइ तओ पच्छा पहाए भोयणमंडवंसि सुहासणवरगए तेणं मित्त नाइ० चउण्ह य सण्हाणं कुलघरवग्गेणं सद्धिं तं विप्लं असणं पाणं खाइम साइमं आसादेमाणे जाव सक्कारेइ, सकारेत्ता तस्सेव मित्त-नाइ० जाव चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरवग्गस्स परओ पंच सालिअक्खए गेण्हइ गेण्हित्ता जेहुँ सण्हं उज्झियं सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी- तुम णं पत्ता मम हत्थाओ इमे पंच सालिक्खए गेण्हाहि अनुपव्वेणं सारक्खेमाणी संगोवेमाणी विहराहि, जया णं अहं पुत्ता तुम इमे पंच सालिअक्खए जाएज्जा तया णं तुमं मम इमे पंच सालिअक्खए पडिनिज्झाएज्जासि त्ति कट्ट सुण्हाए हत्थे दलयइ दलइत्ता पडिविसज्जेइ । तए णं सा उज्झिया धणस्स तह त्ति एयमढे पडिसुणेइ पडिसुणेत्ता धणस्स सत्थवाहस्स हत्थाओ तं पंच सालिअक्खए गेण्हइ गेण्हित्ता एगतमवक्कमइ एगंतमवक्कमियाए इमेयारूवे : जाव समप्पिज्जित्था- एवं खल तायाणं कोहागारंसि बहवे पल्ला सालीणं पडिपण्णा चिटुंति, तं जया णं मम ताओ इमे पंच सालिअक्खए जाएस्सइ तया णं अहं पल्लंतराओ अण्णे पंच सालिअक्खए गहाय दाहामि त्ति कट्ट एवं संपेहेइ संपहेत्ता ते पंच सालिअक्खए एगंते एडेइ सकम्मसंजुत्ता जाया यावि होत्था एवं भोगवइयाए वि, नवरं-सा छोल्लेइ छोल्लेत्ता अनुगिलइ अनुगिलित्ता सकम्मसंजुत्ता जाया यावि होत्था । एवं रक्खियाए वि, नवरं-गेण्हइ गेण्हित्ता एगंतमवक्कमियाए इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव सम्प्पज्जित्था- एवं खल ममं ताओ इमस्स मित्त-नाइ-जाव चउण्ह य सण्हाणं कुलघरवग्गस्स परओ सद्दावेत्ता एवं वयासी-तुमं णं पुत्ता मम हत्थाओ इमे पंच सालिअक्खए गेण्हाहि अनपव्वेणं सारक्खमाणी संगोवेमाणी विहराहि, जया णं अहं पुत्ता तुमं [इमे पंच सालिअक्खए जाएज्जा तया णं तुम मम इमे पंच सालिअक्खए] पडिनिज्जाएज्जासि त्ति कट्ट मम हत्थंसि पंच सालिअक्खए दलयइ तं भवियव्वमेत्थ कारणेणं ति कट्ट एवं संपेहेइ संपेहेत्ता ते पंच सालिअक्खए सुद्धे वत्थे बंधड़ बंधित्ता रयणकरंडियाए पक्खिवेइ पक्खिवित्ता उसीसामूले ठावेइ ठावेत्ता तिसंझं पडिजागरमाणी-पडिजागरमाणी विहरइ । तए णं से धणे सत्थवाहे तहेव मित्त-नाइ० जाव चउत्थं जाव तं भवियव्वं एत्थ कारणेणं तं सेयं खल मम एए पंच सालिअक्खए सारक्खमाणीए संगोवेमाणीए संवड्ढेमाणीए त्ति कट्ट एवं संपेहेइ संपेहेत्ता कुलघर-पुरिसे सदावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी[दीपरत्नसागर संशोधितः] [56] [६-नायाधम्मकहाओ]

Loading...

Page Navigation
1 ... 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159