Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 55
________________ देवाणुप्पियं वंदमाणे सीसेणं पाएसु संघट्टेमि, तं खामेमि णं तुब्भे देवाणुप्पिया! खमंतुं णं देवाणुप्पिया! खंतुमरहंति णं देवाणुप्पिया! नाइ भुज्जो एवं करणयाए त्ति कट्ट सेलयं अणगारं एयम९ सम्म विणएणं भुज्जो-भुज्जो खामेइ । स्यक्खंधो-१, अज्झयणं-५ तए णं तस्स सेलगस्सरायरिसिस्स पंथएणं एवं वृत्तस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव सम्प्पज्जित्था-एवं खल अहं चइत्ता रज्जं जाव पव्वइए, ओसन्ने जाव उउबद्ध-पीढ० विहरामि, तं नो खल कप्पइ समणाणं निग्गंथाणं अपसत्थाणं जाव विहरित्तए, तं सेयं खल मे कल्लं मंड्यं रायं आपच्छित्ता पाडिहारियं पीढ-फलग-सेज्जा-संथारगं पच्चप्पिणित्ता पंथएणं अणगारेणं सद्धि बहिया अब्भज्जएणं जणवयविहारेणं विहरित्तए- एवं संपेहेइ संपेहेत्ता कल्लं जाव विहरड़ । [२] एवामेव समणाउसो जे निग्गंथे वा निग्गंथी वा ओसन्ने ओसन्नविहारी जाव संथारए पमत्ते विहरइ, से णं इहलोए चेव बहणं समणाणं बहणं समणीणं बहणं सावयाणं बहणं सावियाण य हीलणिज्जे जाव संसारो भाणियव्वो । तए णं ते पंथगवज्जा पंच अणगारसया इमीसे कहाए लद्धट्ठा समाणा अण्णमण्णं सद्दावेंति सद्दावेत्ता एवं वयासी- एवं खल देवाणप्पिया! सेलए रायरिसी पंथएणं सद्धिं वहिया जाव विहरइ, तं सेयं खल देवाणुप्पिया! अम्हं सेलगं रायरिसिं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए, एवं संपेहेंति संपेहेत्ता सेलगं रायरिसिं उवसंपज्जित्ता णं विहरंति । [७३] तए णं से सेलए पामोक्खा पंच अणगारसया बहूणि वासाणि सामन्न परियागं पाउणित्ता जेणेव पुंडरीए पव्वए तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता जहेव थावच्चापुत्ते तहेव सिद्धा । एवामेव समणाउसो! जो निग्गंथो वा निग्गंथी वा अब्भुज्जएणं जणवयविहारेणं विहरइ, से णं इहलोए चेव बहणं समणाणं जाव अच्चणिज्जे जाव पज्जवासणिज्जे भवइ, परलोए वि य जाव चाउरतं संसारकंतारं वीइवइस्सइ । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं पंचमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते, त्ति बेमि | • पढमे सयक्खंधे पंचमं अज्झयणं समत्तं . • मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च पंचमं अज्झयणं समत्तं . • छहूँ अज्झयणं-तुंबे • [७४] जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं पंचमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते छहस्स णं भंते! नायज्झयणस्स के अढे पन्नत्ते? एवं खल जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं, परिसा निग्गया, तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेटे अंतेवासी इंदभूई नामं अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते जाव सक्कज्झाणोवगए विहरइ, तए णं से इंदभूई नामं अणगारे जायसड्ढे जाव एवं वयासि- कहण्णं भंते! जीवा गरुयत्तं वा लहयत्तं वा हव्वमागच्छंति? गोयमा! से जहानामए केइ पुरिसे एगं महं सुक्कं तुंब निच्छिदं निरुवहयं दब्भेहिं य कुसेहिं य वेढे वेढेत्ता मट्टियालेवेणं लिंपइ लिंपित्ता उण्हे दलयइ दलयित्ता सक्कं समाणं दोच्चपि दब्भेहि य [दीपरत्नसागर संशोधितः] [54] [६-नायाधम्मकहाओ]

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