Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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तए णं ते पंथगपामोक्खा पंच मंतिसया सेलगं रायं एवं वयासी- जइ णं तब्भे देवाणप्पिया संसारभउव्विग्गा जाव पव्वयह, अम्हं णं देवाणप्पिया! के अण्णे आहारे वा आलंबे वा अम्हे वि य णं देवाणुप्पिया संसारभउव्विग्गा जाव पव्वयामो, जहा णं देवाणुप्पिया! अम्हं बहूसु कज्जेसु य कारणेसु य सुयक्खंधो-१, अज्झयणं-५
जाव तहा णं पव्वइयाण वि समाणाणं बहस कज्जेस् य जाव चक्खुभूए,
तए णं से सेलगे पंथगपामोक्खे पंच मंतिसए एवं वयासी- जइ णं देवाणुप्पिया तुब्भे संसारभउव्विग्गा जाव पव्वयइ तं गच्छह णं देवाणुप्पिया! सएसु-सएसु कुटुंबेसु जेट्टपुत्ते कुटुंबमज्झे ठावेत्ता परिससहस्सवाहणीओ सीयाओ दुरूढा समाणा मम अंतियं पाउब्भवह, ते वि तहेव पाउब्भवति ।
तए णं से सेलए राया पंच मंतिसयाई पाउब्भवमाणाई पासइ पासित्ता हद्वत्ढे कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ सद्देत्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! मंडुयस्स कुमारस्स महत्थं जाव रायाभिसेयं उवद्ववेह कोइंबियपरिसा मंड्यस्स कुमारस्स जाव रायाभिसेएणं अभिसिंह, मंडए राया जाव विहरइ ।
तए णं से सेलए मंडुयं रायं आपुच्छड़ तए णं मंडुए राया कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! सेलगपुरं नयरं आसिय जाव गंधवट्टिभूयं करेह य कारवेह य एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह, तए णं से मंडुए दोच्चं पि कोडुबिपुरिसे एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवाणप्पिया! सेलगस्स रण्णो महत्थं जाव निक्खमणाभिसेयं करेह जहेव मेहस्स तहेव नवरं-पउमावती देवी अग्गकेसे पडिच्छइ सच्चेव पडिग्गहं गहाय सीयं दुरूइह अवसेसं तहेव जाव सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिज्जइ अहिज्जित्ता बहूहिं चउत्थ-जाव विहरइ ।।
तए णं से सुए सेलगस्स अणागारस्स ताई पंथगपामोक्खाइं पंचं अणगारसयाई सीसत्ताए वियरइ, तए णं से सुए अण्णया कयाइ सेलगपुराओ नगराओ सुभूमिभागाओ उज्जाणाओ पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ ।
तए णं से सुए अणगारे अण्णया कयाइ तेणं अणगारसहस्सेणं सद्धिं संपरिवुडे पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे सुंहसुहेणं विहरमाणे जेणेव पुंडरीयप्पवए जाव सव्वदुक्खप्पहीणे-सिद्धे ।
[१९] तए णं तस्स सेलगस्स रायरिसिस्स तेहिं अंतेहि य पंतेहि य तच्छिहि य लूहेहि य अरसेहि य विरसेहि य सीएहि य उण्हेहि य कालाइक्कंतेहि य पमाणाइक्कंतेहि य निच्चं पाणभोयणेहिं य पयइ-सुकुमालस्स सुहोचियस्स सरीरगंसि वेयणा पाउब्भूया-उज्जला जाव दुरहियासा कंडु-दाह-पित्तज्जरपरिगयसरीरे यावि विहरइ, तए णं से सेलए तेणं रोयायंकेणं सक्के भक्खे जाए यावि होत्था ।
तए णं से सेलए अण्णया कयाइ पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे जाव सुभूमिभागे उज्जाणे जाव विहरइ, परिसा निग्गया, मंइओ वि निग्गओ, सेलगं अणगारं वंदइ नमसइ पज्जुवासइ ।
तए णं से मंडुए राया सेलगस्स अणगारस्स सरीरगं सुक्कं भुक्खं सव्वाबाहं सरोगं पासइ पासित्ता एवं वयासी- अहण्णं भंते! तुब्भं अहापवित्तेहिं तेगिच्छिएहिं अहापवित्तेणं ओसहभेसज्जभत्तपाणेणं तेगिच्छं आउट्टावेमि, तुब्भे भंते! मम जाणसालास् समोसरह फासुअं एसणिज्जं पीढफलग-सेज्जा-संथारगं ओगिण्हित्ताणं विहरह ।।
तए णं से सेलए अणगारे मंडुयस्स रण्णो एयमद्वं तह त्ति पडिसुणेइ ।
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
[52]
[६-नायाधम्मकहाओ]
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