Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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तए णं से मंडुए सेलगं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसिं पडिगए।
तए णं से सेलए कल्लं जाव जलंते स-भंड-मत्तोरवगरणमायाए पंथगमपामोक्खेहिं पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं सेलगपुरमणुप्पविसइ अनुपविसित्ता जेणेव मंडुयस्स जाव जाणसाला तेणेव उवागच्छड़ सयक्खंधो-१, अज्झयणं-५
उवागच्छित्ता फास्यं एसणिज्ज पीढ- जाव विहरइ ।
तए णं से मंडुए तेगिच्छिए सद्दावेइ सद्दावेत्ता एयं वयासी- तुब्भे णं देवाणुप्पिया! सेलगस्स फासु-एसणिज्जेणं जाव तेगिच्छं आउट्टेह, तए णं ते तेगिच्छिया मंडुएणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा हद्वतुट्ठा सेलवगस्स अहापवित्तेहिं ओसह-भेसज्ज-भत्तपाणेहिं तेगिच्छं आउटुंति, मज्झपाणगं च से उवदिसंति ।
तए णं तस्स सेलगस्स अहापवित्तेहिं जाव मज्जपाणएण य से रोगायंके उवसंते यावि होत्था, हटे मल्लसरीरे जाए ववगयरोगायंके, तए णं से सेलए तंसि रोगायकसि उवलंतंसि समाणंसि तंसि विप्ले असण-पाण-खाइम-साइमे मज्जपाणए य मच्छिए गढिए गिद्धे अज्झोववन्ने ओसन्ने ओसन्नविहारी पासत्थे पासत्थविहारी कुसीले कुसलविहारी पमत्ते पमत्तविहारी संसत्ते संसत्तविहारी उउबद्ध-पीढ-फलगसेज्जा-संथारए पमत्ते यावि विहरइ, नो संचाएइ फास-एसणिज्जं पीढं जाव पच्चप्पिणित्ता मंड्यं च रायं आपच्छित्ता बहिया जणवयविहारं विहरित्तए ।
[७०] तए णं तेसिं पंथगवज्जाणं पंचण्हं अणगारसयाणं अण्णया कयाइ एगयओ सहियाणं जाव पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणाणं अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था- एवं खलु सेलए रायरिसी चइत्ता रज्जं जाव पव्वइए, विउले असण-पाण-खाइम-साइमे मज्जपाणए य मुच्छिए नो संचाएइ जाव विहरित्तए, नो खल कप्पइ देवाणप्पिया! समणाणं जाव पमत्ताणं विहरित्तए, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया! अम्हं कल्लं सेलगं रायरिसिं आपुच्छित्ता पाडिहारियं पीढफलग-सेज्जा-संथरयं पच्चप्पिणित्ता सेलगस्स अणगारस्स पंथयं अणगारं वेयावच्चकरं ठावेत्ता बहिया अब्भज्जएणं जणवयविहारेणं विहरित्तए, एवं संपेहेत्ति संपेहेत्ता कल्लं जेणेव सेलए. आपच्छित्ता पाडिहारियं पीढ-फलग-सेज्जा-संथारयं पच्चप्पिणंति पच्चप्पिणित्ता पंथयं अणगारं वेयावच्चकरं ठावेंति ठावेत्ता बहिया जणवयविहारं विहरति ।
[७१] तए णं से पंथए सेलगस्स सेज्जा-संथारय-उच्चार-पासवण-खेल्ल-सिंघाणमत्त-ओसहभेसज्ज-भत्तपाणएणं अगिलाए विणएणं वेयावडियं करे ।
तए णं से सेलए अण्णया कयाइ कत्तियं-चाउम्मासियंसि विउलं असण-पाण-खाइम-साइमं आहारमाहारिए सुबहं च मज्जपाणयं पीए पच्चावरण्हकालसमयंसि सुहप्पसुत्ते ।
तए णं से पंथए कत्तिय-चाउम्मासियंसि कयकाउस्सग्गे देवसियं पडिक्कमणं पडिक्कमंते चाउम्मासियं पडिक्कमिउकामे सेलगं रायरिसिं खामणट्ठायाए सीसेणं पाएस् संघट्टेइ ।
तए णं से सेलए पंथएणं सीसेणं पाएस् संघट्टिए समाणे आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे उद्वेइ उद्वेत्ता एवं वयासी- से केस णं भो एस अपत्थियपत्थए जाव परि- वज्जिए जे णं ममं सुहपसुत्तं पाएसु संघट्टेइ?
तए णं से पंथए सेलएणं एवं वृत्ते समाणे भीए तत्थे तसिए करयल-परिग्गहियं० अंजलिं वयासी- अहं णं भंते! पंथए कयकाउस्सग्गे देवसियं पडिक्कमणं पडिक्कंते चाउम्मासियं खामेमाणे
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
[53]
[६-नायाधम्मकहाओ]
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