Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 38
________________ तणं से पंथए भोयणपिडयं गहाय चारगाओ पडिणिक्खमइ पडिनणिक्खमित्ता रायगिहं नयरं मज्झंमज्झेणं जेणेव सए गिहे जेणेव भद्दा सत्थवाही तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता भद्दं सत्थवाहिं एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिए धणे सत्थवाहे तव पुत्तघायगस्स पच्चामित्तस्स ताओ विपुलाओ असण-पाण-खाइम-साइमाओ संविभागं करेइ । [५२] तणं सा भद्दा सत्थवाही पंथगस्स दासचेडगस्स अंतिए एयमट्ठे सोच्चा आसुरुत्ता रुट्ठा [कुविया चंडिक्किया] मिसिमिसेमाणी धणस्स सत्थवाहस्स पओसमावज्जइ । तए णं से धणे सत्थवाहे अण्णया कयाइं मित्त-नाइ - नियग-सयण-संबंधि-परियणेणं सएण य अत्थसारेणं रायकज्जाओ अप्पाणं मोयावेइ मोयावेत्ता चारगसालाओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता जेणेव अलंकारियसभा तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता अलंकारियकम्मं करेइ करेत्ता जेणेव पोक्खरिणि तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता अह धोयमट्टियं गेण्हइ गेण्हित्ता पोक्खरिणी ओगाहइ ओगाहित्ता जलमज्जणं करेइ करेत्ता पहाए कयबलिकम्मे जाव रायगिहं नगरं अनुप्पविसइ अनुप्पविसित्ता रायगिहस्स नगरस्स मज्झंमज्झेणं जेणेव सए गिहे तेणेव पहरेत्थ गमणाए । तए णं तं धणं सत्थवाहं एज्जमाणं पासित्ता रायगिहे नयरे बहवे नगरनिगम-सेट्ठिसत्थवाह-पभिइओ आढंति परिजाणंति सक्कारेंति सम्मार्णेति अब्भुट्ठेति सरीरकुसलं पुच्छंति, तए णं से धणे सत्थवाहे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ जावि य से तत्थ बाहिरिया परिसा भवइ तंजहा- दासाइ वा पेस्साइ वा भयगा इ वा भाइल्लगा इ वा, सा वि य णं धणं सत्थवाहं एज्जमाणं पासइ पायवडिया खेमकुसलं पुच्छइ, जावि य से तत्थ अब्भंतरिया परिसा भवइ तंजहा - माया इ वा पिया इ वा भाया इवा भइणी इ वा सावि य णं धणं सत्थवाहं एज्जमाणं पासइ आसणाओ अब्भुट्ठेइ कंठाकंठियं अवयासिय बाहप्पमोक्खणं करेइ । तए णं सा भद्दा धणं सत्थवाहं एज्जमाणं पासइ पासित्ता नो आढाइ नो परिजायइ अणाढायमाणी अपरिजाणमाणी तुसिणीया परम्मुही संचिट्ठइ, तए णं से धणे सत्थवाहे भद्दं भारियं एवं वयासी- किण्णं तुज्झं देवाणुप्पिए! न तुट्ठी वा न हरिसो वा नाणंदो वा जं मए सएणं अत्थसारेणं रायकज्जाओ अप्पा विमोइए । तणं सा भद्दा धणं सत्थवाहं एवं वयासी- कहं णं देवाणुप्पिया मम तुट्ठी वा [हरिसो सुयक्खंधो-१, अज्झयणं-२ वा] आणंदो वा भविस्सइ जेणं तुमं मम पुत्तघायगस्स जाव पच्चामित्तस्स ताओ विपुलाओ असण-पाणखाइम - साइमाओ संविलभागं करेसि । तए णं से धणे सत्थवाहे भद्दं भारियं एवं वयासी- नो खलु देवाणुप्पिए! धम्मो त्ति वा तवोत्ति वा कय-पडिकया इ वा लोगजत्ता इ वा नायए इ वा घाडियए इ वा सहाए इ वा सुहित वा विजयस्स तक्करस्स ताओ विपुलाओ असण- पाण- खाइम - साइमाओ संविभागे कए नण्णत्थ सरीरचिंताए, तए णं सा भद्दा धणेणं सत्थवाहेणं एवं वुत्ता समाणी हट्ठतुट्ठ-जाव आसणाओ अब् अब्भट्ठेत्ता कंठाकंठिं अवयासेइ खेमकुसलं पुच्छइ पुच्छित्ता ण्हाया जाव - पायच्छित्ता विपुलाई भोगभोगाई भुंजमाणी विहरइ । [दीपरत्नसागर संशोधितः ] [37] [६-नायाधम्मकहाओ]

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