Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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तणं से विजए तक्करे चारगसालाए तेहिं बंधेहिं य वहेहिं य कसप्पहारेहि य जाव तण्हाए य छुहाए य परज्झमाणे कालमासे कालं किच्चा नरएसु नेरइयत्ताए उववण्णे । से णं तत्थ नेरइए जाए काले कालोभासे जाव वेयणं पच्चणुब्भवमाणे विहर।
से णं तओ उव्वट्टित्ता अणादीयं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतं संसारकंतारं अनुपरियट्टिस्सइ एवामेव जंबू! जे णं अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा आयरिय उवज्झायाणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए समाणे विपुलमणि - मोत्तिय-धण-कणग-रयणसारेणं लुब्भइ सेविय एवं चेव ।
[५३] तेणं कालेणं तेणं समएणं थेरा भगवंतो जाइसंपन्ना जाव पुव्वाणुपुविं चरमाणे जाव जेणेव रायगिहे नयरे जेणेव गुणसिलए चेइए जाव अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणा विहरंति परिसा निग्गया धम्मो कहिओ,
तए णं तस्स धणस्स सत्थवाहस्स बहुजणस्स अंतिए एयमट्ठे सोच्चा निसम्म इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था एवं खलु थेरा भगवंतो जाइसंपण्णा इहमागया इहसंपत्ता तं इच्छामि णं थेरे भगवंते वंदामि नम॑सामि एवं संपेहेइ संपेहेत्ता हाए जाव सुद्धप्पावेसाइं मंगल्लाइं वत्थाइं पवर परिहिए पायविहारचारेणं जेणेव गुणसिलए चेइए जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छित्ता वंदइ नमसइ तणं थेरा भगवंतो धरणस्स विचित्तं धम्ममाइक्खति ।
तए णं से धणे सत्थवाहे धम्मं सोच्चा एवं वयासी - सद्दहामि णं भंते निग्गंथं पावयणे जाव पव्वइए जाव बहूणि वासाणि सामण्ण-परियागं पाउणित्ता भत्तं पच्चक्खाइत्ता मासियाए संहा अप्पाणं झोसेत्ता सट्ठि भत्ताइं अणसणाए छेदित्ता कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववण्णे, तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणे चत्तारि पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता तस्स णं धणस्स देवस्स चत्तारि पलिओवमाई ठिई ।
सेणं धणे देवे ताओ देललोगाओ आउक्खएणं ठिइक्खएणं भवक्खएणं अनंतरं चयं चइत्ता महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेहिइ ।
[५४] जहा णं जंबू! धणेणं सत्थवाहेणं नो धम्मो त्ति वा जाव विजयस्स तक्करस्स ताओ विपुलाओ असण-पाण- खाइम - साइमाओ संविभागे कए नण्णत्थ सरीरसारक्खणट्ठाए, एवामेव जंबू! जे णं अम्हं निग्गंथे वा निग्गंथी वा जाव पव्वइए समाणे ववगय- ण्हाणुमद्दण-पुप्फ-गंध-मल्लालंकार-विभूसे इमस्स ओरालियसरीरस्स नो वण्णहेउं वा नो रूवहेठं वा नो हलहेउं वा नो विसयहेउं वा तं विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं आहारमाहारेइ, नण्णत्थ नाणदंसणचरित्ताणं वहणट्ठयाए, से णं इहलोए चेव बहूणं सुयक्खंधो-१, अज्झयणं-२
समाणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावगाणं बहूणं सावियाणं य अच्चणिज्जे जाव पज्जुवासणिज्जे भवइ, परलोए वि य णं नो बहूणि हत्थच्छेयणाणि य कण्णच्छेयणाणि य नासाछेयणाणि य एवं हिययउप्पायणाणि य वसणुप्पायणाणि य उल्लंबणाणि य पावाहिइ पुणो अणाइयं च णं अणवदग्गं दीहमद्धं [चाउरंतं संसारकंतारं] वीईवइस्सइ- जहा व से धणे सत्थवाहे,
एवं खलु जंबू! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं दोच्चस्स नायज्झयणस्स अयमट्ठे पन्नत्ते -त्ति बेमि ।
• पढमे सुयक्खंधे बीअं अज्झयणं समत्तं •
[दीपरत्नसागर संशोधितः ]
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[६-नायाधम्मकहाओ]
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