Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 40
________________ मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च बीइअं अज्झयणं समत्तं • तइअं अज्झयणं- अंडे • [ ५५ ] जइ णं भंते समणेणं भगवया महावीरेणं दोच्चस्स अज्झयणस्स नायाधम्मकहाणं अयमट्ठे पन्नत्ते तच्चस्स णं भंते नायज्झयणस्स के अट्ठे पन्नत्ते? एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नामं नयरी होत्था-वण्णओ, तीसे णं चंपाए नयरीए बहिया उतरपुरत्थिमे दिसीभाए सुभूमिभागे नामं उज्जाणे होत्था, सव्वउय-पुप्फ-फल-समिद्धे सुरम्मे नंदनवणे इव सुह-सुरभि - सीयलच्छायाए समणुबद्धे, तस्स णं सुभूमि भागस्स उज्जाणस्स उत्तरओ एगदेसंमि मालुयाकच्छए होत्था-वण्णओ, तत्थ णं एगा वणमयूरी दो पुट्ठे परियागए पिडुंडी-पंडुरे निव्वणे निरुवहए भिण्णमुट्ठिप्पमाणे मयूरी- अंडए पसवइ पसवित्ता सएणं पक्खवाएणं सारक्खएमाणी संगोवेमाणी संविद्वेमाणी विहरइ । तत्थ णं चंपाए नयरीए दुवे सत्थवाहदारगा परिवसंति तं जहा- जिणदत्तपुत्ते य सागरदत्तपुते य सहजायया सहवड्ढियया सहपंसुकीलियया सहदारदरिसी अण्णमण्णमणुरत्तया अण्णमण्णमणुव्वयया अण्णमण्णच्छंदाणुवत्तया अण्णमण्णहिय इच्छियकारया अण्णमण्णेसु गिहेसु किच्चाई करणिज्जाइं पच्चणुब्भवमाणा विहरंति । [५६] तए णं तेसिं सत्थवाहदारगाणं अण्णया कयाई एगयओ सहियाणं समुवागयाणं सण्णिसण्णाणं सण्णिविद्वाणं इमेयारूवे मिहोकहासमुल्लावे समुप्पज्जित्था - जण्णं देवाणुप्पिया! अम्हं सुहं वा दुक्खं वा पव्वज्जा वा विदेसगमणं वा समुप्पज्जइ तण्णं अम्हेहिं एगयओ समेच्चा नित्थरिय ति कट्टु अण्णमण्णमेयारूवं संगारं पडिसुणेतिं पडिसुणेत्ता सकम्मसंपउत्ता जाया यावि होत्था । ० o [५७] तत्थ णं चंपाए नयरीए देवदत्ता नामं गणिया परिवसइ- अड्ढा जाव-भत्तपाणा चउसट्ठिकलापंडिया चउसट्ठि गणियागुणोववेया अउणत्तीसं विसेसे रममाणी एक्कवीस - रइगुणप्पहाण बत्तीसपुरिसोवयारकुसला नवंगसुत्तपडिबोहिया अट्ठरसदेसीभासाविसारया सिंगारागारचारुवेसा संगय-गय- हसिय[भणिय-चेट्ठय-विलाससंलावुल्लाव- निउण-जुत्तोवयारकुसला ] ऊसियज्झया सहस्सलंभा विदिण्णछत्त चामरबालवीयणिया कण्णीरहुप्पयाया वि होत्था बहूणं गणियासहस्साणं आहेवच्चं जाव विहरइ । तए णं तेसिं सत्थवाहदारगाणं अण्णा कयाइ पुव्ववरण्हकालसमयंसि जिमियभुत्तुत्तरागयाणं समाणाणं आयंताणं चोक्खाणं परमसुइभूयाणं सुहासणवरगयाणं इमेयारूवे मिहोकहासमुल्लावे समुप्पज्जित्था - सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया कल्लं जाव जलते विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेत्ता तं विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं धूव - पुप्फ-गंध-वत्थ-मल्लालंकारं गहाय देवदत्ता गणि सुयक्खंधो-१, अज्झयणं-३ याए सद्धिं सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स उज्जाणसिरिं पच्चणुब्भवमाणाणं विहरित्तए त्ति कट्टु अण्णमण एयमद्वं पडिसुर्णेति पडिसुणेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव कोडुंबियपुरिसे सद्दावेंति सद्दावेत्ता एवं वयासी गच्छह णं देवाणुप्पिया विपुलं असण-पाणं-खाइम - साइमं उवक्खडेह उवक्खडेत्ता तं विपुलं असण-पाण-खाइम-साइमं धूव - पुप्फ-गंध-वत्थ- मल्लालंकार गहाय जेणेव सुभूमि-भागे उज्जाणे जेणेव नंदा पुक्खरिणी तेणेव उवागच्छह उवागच्छित्ता नंदाए पोक्खरिणीए अदूरसामंते थूणामंडव आहाणह[दीपरत्नसागर संशोधितः ] [39] [६-नायाधम्मकहाओ]

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