Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 37
________________ तणं से पंथ भद्दाए सत्थवाहीए एवं वृत्ते समाणे हट्ठतुट्टे तं भोयणपिडयं तं च सुरभिवरवारिपडिपुन्नं दगवारयं गेण्हइ गेण्हित्ता सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता रायगिहं नगर मज्झंमज्झेणं जेणेव चारगसाला जेणेव धणे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता भोयणपिडयं ठवेइ ठवेत्ता उल्लंछेड़ उल्लंछेत्ता भायणाई गेण्हइ गेण्हित्ता भायणाई ठावइ ठावित्ता हत्थसोयं दलयइ दलइत्ता घणं सत्थवाहं तेणं विपुलेणं असण- पाण- खाइम - साइमेणं परिवेसेइ । तए णं से विजए तक्करे धणं सत्थवाहं एवं वयासी- तुब्भे णं देवाणुप्पिया ममं एयाओ विपुलाओ असण-पाण- पाण- खाइम साइमाओ संविभागं करेहि, तए णं से धणे सत्थवाहे विजयं तक्करं एवं वयासी- अवियाइं अहं विजया एयं विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं कायाणं वा सुणगाणं वा दलएज्जा उक्कुरुडियाए वा णं छड्डेज्जा नो चेवणं तव पुत्तघायगस्स पुत्तमारगस्स अरिस्स वेरियस्स पडिणीयस्स पच्चामित्तस्स एत्तो विपुलाओ असणपाण-खाइम-साइमाओ संविभागं करेज्जामि, तए णं से धणे सत्थवाहे तं विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं आहारेइ तं पंथयं पडिविसज्जेइ, तए णं से पंथए दासचेडए तं भोयणपिडगं गिण्हइ गिण्हित्ता जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसिं पडिगए । तए णं तस्स धणस्स सत्थवाहस्स तं विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं आहारियस्स समाणस्स उच्चार-पासवणे णं उव्वाहित्था, तए णं से धणे सत्थवाहे विजयं तक्करं एवं वयासी- एहि ताव विजया एगंतमवक्कामो जेणं अहं उच्चार पासवणं परिट्ठवेमि, तए णं से विजए तक्करे धणं सत्थाहं एवं वयासी- तुज्झं देवाणुप्पिया ! विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं आहारियस्स अत्थि उच्चारे वा पासवणे वा ममं णं देवाणुप्पिया! इमेहिं बहूहिं कसप्पहारेहि य छिवापहारेहि य लयापहारेहि य तण्हाए य छुहाए य परब्भवमाणस्स नत्थि केइ उच्चारे वा पासवणे वा तं छंदेणं तुमं देवाणुप्पिया ! एगंते अवक्कमित्ता उच्चार- पासवणं परिट्ठवेहि । तए णं से धणे सत्थवाहे विजएणं तक्करेणं एवं वृत्ते समाणे तुसिणीए संचिट्ठइ, तए णं से धणे सत्थवाहे मुहुत्तंतरसस बलियतरागं उच्चार पासवणेणं उव्वाहिज्जमाणे विजयं तक्करं एवं वयासीएहिं ताव विजया! एगंतमक्कमाणो जेणं अहं उच्चार पासवणं परिट्ठवेमि, तए णं से विजए तक्करे धणं सुयक्खंधो-१, अज्झयणं-२ सत्थवाहं एवं वयासी- जइ णं पुणं देवाणुप्पिया! ताओ विपुलाओ असण- पाण- खाइम साइमाओ संविभागं करेहि ततोऽहं तुमेहिं सद्धिं एगंतं अवक्कमामि । तणं से धणे सत्थवाहे विजयं तक्करं एवं वयासी- अहं णं तुब्भं ताओ विपुलाओ असणपाण- खाइम- साइमाओ संविभागं करिस्सामि, तए णं से विजए तक्करे धणस्स सत्थवाहस्स एयमट्ठ पडिसुणेइ । तणं से धणे सत्थवाहे विजएणं तक्करेणं सद्धिं एगंते अवक्कमइ उच्चारपासवणं परिट्ठवेइ आयंते चोक्खे परमसुइभूए तमेव ठाणं उवसंकमित्ता णं विहरइ, तए णं सा भद्दा कल्लं जाव जलते विपुलं असणं० जाव परिवेसेइ । तणं से धणे सत्थवाहे विजयस्स तक्करस्स ताओ विपुलाओ असण- पाण-खाइमसाइमाओ संविभागं करेइ, तए णं से धणे सत्थवाहे पंथगं दासचेडयं विसज्जेइ । [दीपरत्नसागर संशोधितः ] [36] [६-नायाधम्मकहाओ]

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