Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 30
________________ संवेगे तं जाव ता मे अत्थि उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए परिसगार परक्कमे सद्धा धिई संवेगे जाव इमे धम्मायरिए धम्मोवएसए समणे भगवं महावीरे जिणे सहत्यि विहरइ ताव ता मे सेयं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उट्ठियंमि सूरे सहस्सरस्सिंमि दिणयरे तेयसा जलंते समणं भगवं महावीरं वंदित्ता नमंसित्ता समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणण्णायस्स समाणस्स सयमेव पंच महव्वयाई आरुहित्ता गोयमादीए समणे निग्गंथे निग्गंथीओ य खामेत्ता तहारूवेहिं कडाईहिं थेरेहिं सद्धिं विउलं पव्वयं सणियं-सणियं दुहित्ता सयमेव मेहघणसण्णिगासं पुढविसिलापट्टयं पडिलेहित्ता संलेहणा-झूसणा-झूसियस्स भत्तपाणपडियाइक्खि-यस्स पाओवगयस्स कालं अणवकंखमाणस्स विहरित्तए । एवं संपेहेइ संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उद्वियंमि सूरे सहस्सस्सिंमि दिणयरे तेयसा जलंते जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छड़ उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पायाहिणं करेइ करेत्ता वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता नच्चासण्णे नाइदूरे सुस्सूसमाणे नमसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलिउडे पज्ज्वासइ मेहा इ समणे भगवं महावीरे मेहं अणगारं एवं वयासी- से नूणं तव मेहा राओ पव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव संकप्पे समुप्पज्जित्था- एवं खलु अहं इमेणं ओरालेणं तवोकम्मेणं सुक्के जाव जेणेव इहं तेणेव हव्वमागए से नूणं मेहा अढे समढे? हंता अत्थि, अहासुहं देवाणप्पिया मा पडिबंधं करेहि । तए णं से मेहे अणगारे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे हद्वतुट्ठचित्तमाणंदिए जाव हरिसवस-विसप्पमाणहियए उढे उढेइ उद्वेत्ता समणं भगवं महावीरं तिखुत्तो आयास्यक्खंधो-१, अज्झयणं-१ हिण-पयाहिणं करेइ करेता वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता सयमेव पंच महव्वयाइं आरुहेइ आरुहेत्ता गोयमादीए समणे निग्गंथे निग्गंथीओ य खामेइ खामेत्ता तहारूवेहिं कडादीहिं थेरेहिं सद्धिं विपुलं पव्वयं सणियं-सणियं दुरुहइ दुरुहित्ता सयमेव मेहघणंसण्णिगासं पढविसिलापट्टयं पडिलेहेइ पडिलेहेत्ता उच्चारपासवणभूमि पडिलेहइ पडिलेहेत्ता दब्भसंथरागं संथरइ संथरित्ता दब्भसंथारगं दुरुहइ दुरुहित्ता पुरत्थाभिमुहे संपलियंकनिसण्णे करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्ट एवं वयासी नमोत्थु णं अरहताणं जाव सिद्धिगइनामधेज्जं ठाणं संपत्ताणं, नमोत्थु णं समणस्स जाव सिद्धिगइनामधेज्जं ठाणं संपाविउकामस्स मम धम्मायरियस्स वंदामि णं भगवंतं तत्थगयं इहगए पासउ मे भगवं तत्थघए इहगयं ति कट्ट वंदई नमंसह वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी- पव्विं पि य णं मए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए सव्वे पाणाइवाए पच्चक्खाए मसावए अदिन्नादाणे मेहणे परिग्गहे कोहे माणे माया लोहे पेज्जे दोसे कलहे अब्भक्खाणे पेसुन्ने परपरिवाए अरइरई मायामोसे मिच्छादसणसल्ले पच्चक्खाए । इयाणिं पि णं अहं तस्सेव अंतिए सव्वं पाणाइवायं पच्चक्खामि जाव मिच्छदसणसल्लं पच्चक्खामि सव्वं असण-पाण-खाइम-साइमं चउव्विहंपि आहारं पच्चक्खामि जावज्जीवाए जंपि य इमं सरीरं इह कंतं पियं जाव विविहा रोगायंका परीसहोवसग्गा फुसंतीति कट्ट एयं पि य णं चरमेहिं ऊसास-नीसासेहिं वोसिरामि त्ति कट्ट् संलेहणा-झूसणा-झूसिए भत्तपाण-पडियाइ-क्खिए पाओवगए कालं अणवकंखमाणे विहरड़ । तए णं ते थेरा भगवंतो मेहस्स अणगारस्स अगिलाए वेयावडियं करेंति तए णं से मेहे अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारसअंगाई अहिज्जित्त वालस वरिसाइं सामण्णपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं [दीपरत्नसागर संशोधितः] [29] [६-नायाधम्मकहाओ]

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