Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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देवाणप्पिएहिं सयमेव पव्वावियं सयमेव मंडावियं सयमेव सेहावियं सयमेव सिक्खावियं सयमेव आयारगोयर-विणय-वेणइय-चरण-करण-जायामायावत्तियं धम्ममाइक्खियं ।।
तए णं समणे भगवं महावीरं मेहं कुमारं सयमेव पव्वावेइ सयमेव आयार जाव धम्ममाइक्खड़ एवं देवाणप्पिया! गंतव्वं एवं चिट्ठियव्वं एवं निसीयव्वं एवं त्यट्टियव्वं एवं भंजियव्वं एवं भासियव्वं एवं उठाए उट्ठाय पाणेहिं भूएहिं जीवेहिं सत्तेहिं संजमेणं संजमियव्वं अस्सिं च णं अहे नो पमाएयव्वं, तए णं से मेहे कुमारे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए इमं एयारूवं धम्मियं उवएसं सम्म पडिवज्जइ-तमाणाए तह गच्छइ तह चिट्ठइ तह निसीयइ तह त्यदृइ तह भंजइ तह भासइ तह उट्ठाए उट्ठाय पाणेहिं भूएहिं जीवेहिं सत्तेहिं संजमेणं संजमइ ।
[३६] जद्दिवसं च णं मेहे कुमारे मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए तस्स णं दिवस्स पच्चावरण्हकालसमंयसि समणाणं निग्गंथाणं अहाराइणियाए सेज्जा-संथारएस् विभज्जमाणेस् मेहकुमारस्स दारमूले सेज्जा-संथारए जाए यावि होत्था, तए णं समणा निग्गंथा
पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि सुयक्खंधो-१, अज्झयणं-१
वायणाए पुच्छणाए परियट्टणाए धम्माणुजोगचिंताए य उच्चारस्स वा पासवणस्स वा अइगच्छमाणा य निग्गच्छमाणा य अप्पेगइया मेहं कुमारं इत्थेहिं संघर्टेति एवं पाएहिं सीसे पोट्टे कायंसि अप्पेगइया ओलंडेंति अप्पेगइया पोलंडेंति अप्पेगइया पाय-रय-रेण-गुंडियं करेंति, एमहालियं च रयणिं मेहे कुमारे नो संचाएइ खणमवि अच्छिं निमीलित्तए ।
तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था-एवं खलु अहं सेणियस्स रण्णो पुत्ते धारिणीए देवीए अत्तए मेहे जाव सवणयाए तं जया णं अहं अगारमज्झे वसामि तया णं मम समणा निग्गंथा आढायंति परियाणंति सक्कारेंति सम्माणेति अट्ठाई हेऊइं पासिणाइं कारणाई वागरणाई आइक्खंति इट्ठाहिं कंताहिं वग्गृहिं आलवेति संलवेंति, जप्पभिरं च णं अहं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए तप्पभिई च णं ममं समणा निग्गंथा नो आढायंति जाव संलवंति, अद्त्तरं च णं ममं समणा निग्गंथा राओ पव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि वायणाए पच्छणाए जाव एमहालियं च णं रत्तिं नो संचाएमि अच्छिं निमिल्लावेत्तए, तं सेयं खल मज्झं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव तेयसा जलंते समणं भगवं महावीरे आपच्छित्ता पूणरवि अगारमज्झे वसित्तए त्ति कट्ट एवं संपेहेइ संपेहेत्ता अट्ट-वसट्ट-माणसगए निरयपडिरूवियं च णं तं रयणिं खवेइ खवेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए सविमलाए रयणीए जाव तेयसा जलंते जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छद उवागच्छिता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं-पयाहिणं करेइ करेत्ता वंदइ नमसइ जाव पज्जुवासइ ।
[३७] तए णं मेहा इ समणे भगवं महावीरे मेहं कुमारं एवं वयासी-से नणं तुम मेहा राओ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि समणेहिं निग्गंथेहिं वायणाए पुच्छणाए जाव एमहालियं च णं राइं तुमं नो संचाएसि महत्तमवि अच्छिं निमिल्लावेत्तए तए णं तुज्झ मेहा इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव सम्प्पज्जित्था- जया णं अहं अगारमज्झावसामि तया णं ममं समणा निग्गंथा आढायंति जाव परियाणंति, जप्पभिई च णं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वयामि तप्पभिई च णं ममं समणा निग्गंथा नो आढायंति जाव नो परियाणंति अदुत्तरं च णं ममं समणा निग्गंथा राओ अप्पेगइया वायणाए जाव पाय-रय-रेण-गंडियं करेंति, तं सेयं खलु मम कल्लं पाउप्पभायाए जाव समणं भगवं महावीरं [दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[६-नायाधम्मकहाओ]
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