Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 19
________________ [३२] तुमं सि णं जाया अम्हं एगे पुत्ते इट्ठे कंते पिए मणुण्णे मणामे थेज्जे वेसासिए सम्मए बहुमए अनुमए भंडकरंडगसमाणे रयणे रयणभूए जीविय- उस्सासिए हियय-नंदि-जणणे उंबर-पुप्फं व दुल्हे सवणया किमंगपुण पासणयाए नो खलु जाया अम्हे इच्छामो खणमवि विप्पओगं सहित्तए तं भुंजाहि जाव जाया विपुले माणुस्सर कामभोगे जाव ताव वयं जीवामो तओ पच्छा अम्हेहिं कालगहिं परिणयवए वड्ढय-कुलवंसतंतु- कज्जम्मि निरावयक्खे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइस्ससि । तए णं से मेहे कुमारे अम्मापिऊहि एवं वुत्ते समाणे अम्मापियरो एवं वयासी तहेव णं तं सुयक्खंधो-१, अज्झयणं-१ अम्मो जहेव णं तुब्भे ममं एवं वयह-तुमं सि णं जाया अम्हं एगे पुत्ते तं चेव जाव निरावयक्खे समणस्स जाव पव्वइस्सासि एवं खलु अम्मयाओ माणुस्सए भवे अधुवे अणितिए असास वसणसओवद्दवाभिभूते विज्जुलयाचंचले अणिच्चे जलबुब्भयसमाणे कुसग्गजलबिंदुसन्निभे संझब्भरागसरिसे सुविणदंसणोवमे सडण- पडण - विद्धंसण धम्मे पच्छा पुरं च णं अवस्सविप्पजहणिज्जे से के णं जाणइ अम्मयाओ के पुव्विं गमणाए के पच्छा गमणाए ? तं इच्छामि णं अम्मयाओ तुम्भेहिं अब्भणुण्णा समणस्स भगवओ जाव पव्वइत्तए । म तए णं तं मेहं कुमारं अम्मापियरो एवं वयासी- इमाओ ते जाया सरिसियाओ सरित्तयाओ सरिव्वयाओ सरिसलावण्ण-रूव-जोव्वण-गुणोववेयाओ सरिसेहिंतो रायकुलेहिंतो आणिल्लियाओ भारियाओ तं भुंजाहिं णं जाया एयाहिं सद्धिं विउले माणुस्सए कामभोगे पच्छा भुत्तभोगे समणस्स जाव पव्वइस्ससि । तए णं से मेहेकुमारे अम्मापियरं एवं वयासी - तहेव णं तं अम्मयाओ जं णं तुभे ममं एवं वयह-इमाओ ते जाया सरिसियाओ तओ जाव समणस्स भगवओ जाव पव्वइस्ससि, एवं खलु अम्मयाओ माणुस्सगा कामभोगे असुई वंतासवा पित्तासवा खेलासवा सुक्कासवा सोणियासवा दुरुय-उस्सासनीसास दुरुय-मुत्त-पुरीस-पूय-बहुपडिपुन्ना उच्चार पासवण - खेल - सिंधाणग-वतं- पित्तसुक्कसोणियसंभवा अधुवा अणितिया असासया सडण - पडण - विद्धंसणधम्मा पच्छा पुरं च णं अवस्सविप्पजहणिज्जा से केणं जाणइ अम्मयाओ! जाणंति के पुव्विं गमणाए के पच्छा गमणाए ? तं इच्छामि णं अम्मयाओ! जाव पव्वइत्तइत्तए, तते णं तं मेहं कुमारं अम्मापियरो एवं वयासी-इमे य ते जाया अज्जय- पज्जय-पिउपज्जयागए सुबहू हिरण्णे य सुवण्णे य कंसे य दूसे य मणि- मोत्तिय संख-सिल-प्पवाल-रत्तरयण-संतसार-सावएज्जे य अलाहि जाव आसत्तमाओ कुलवंसाओ पगामं दाउं पगामं भोत्तु पगामं परिभाएउं तं अनुहोही ताव जाव जाया! विपुलं माणुस्सगं इड्ढिसक्कारसमुदयं तओ पच्छा अनुभूयकल्लाणे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंति पव्वइस्ससि । तणं से मेहे कुमारे अम्मापियरं एवं वयासी तहेव णं तं अम्मयाओ जं णं तुब्भे ममं एवं वयह-इमे ते जाया अज्जग-पज्जग-जाव तिओ पच्छा अनुभूयकल्लाणे जाव पव्वइस्ससि, एवं खलु अम्मयाओ हिरण्णे य जाव सावएज्जे य अग्गिसाइहिए चोरसाहिए रायसाहिए दाइयसाहिए मच्चुसाहिए अग्गिसामण्णे जाव मच्चुसामण्णे सडण पडण-विद्वंसणधम्मे पच्छा पुरं च अवस्सविप्पजहणिज्जे से के णं जाणइ अम्मायाओ! के [पुव्विं गमणाए के पच्छा] गमणाए ?, तं इच्छामि णं जाव पव्वइत्तए । [दीपरत्नसागर संशोधितः] [18] [६-नायाधम्मकहाओ]

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