Book Title: Abhidhan Rajendra kosha Part 7
Author(s): Rajendrasuri
Publisher: Abhidhan Rajendra Kosh Prakashan Sanstha

View full book text
Previous | Next

Page 1159
________________ सूरियाभ अभिधानराजेन्द्र:। सूरियाभ अलंकियविभूसिए समाणे पडिपम्पालंकारे सीहासणाश्रो पुप्फारुहणं मल्लारुहणं गंधारुहणं चुणारुहणं वनारुहर्ण अन्भुवैतिरद्वित्ता अलंकारियसभाओ पुरच्छिमिल्लेणं दारणं वत्थारुहणं आभरणारहणं करेइ करित्ता आसत्तोसत्तविपडिणिक्खमइ २ मित्ता जेणेव ववसायसभा तेणेव उवाग- उलयट्टवग्पारियमल्लदामकलायं करेइ अासत्तोसत्त० करेत्ता च्छति ववसायसभं अणुपयाहिणीकरमाण२ पुरच्छिमिल्लेणं कयम्गाहगहियकरयलपम्भट्ठविप्पमुक्केणं दसवन्नेणं कुदारेणं अणुपविमति, जेणेव सीहासणवरगए.जाव सन्निस- सुमेणं मुक्कपुप्फपुंजोवयारकलियं करेति करिता जिणपडि. नं । तए णं तस्स मूरियाभस्स देवस्स सामाणियपस्सिो- माणं पुरतो अच्छेहिं सण्हेहिं रययामएहिं अच्छरसातंदुवनगा देवा पोत्थयरयणं उवणेति, तते णं से सूरिया लेहिं अट्ठ मंगले आलिहइ,तं जहा-सोत्थिय जाब दप्पदेवे पोत्थयरयणं गिएहति पोत्थ० गिणिहत्ता पोत्थयरयणं ण, तयाणंतरं च णं चंदप्पभरयणवइरवेरुलियविमलदंडं मुयइ पोत्थ० मुइत्ता पोत्थयरयणं विहाडेइ विहाडित्ता पो- कंचणमणिरयणभत्तिचित्तं कालागुरुपवरकुंदुरुकतुरुकधूस्थयरयणं वाएति पोत्थयरयणं वाएता धम्मियं ववसा- वमघमघंतगंधुत्तमाणुषिद्धं च धूववट्टि विणिम्मुयंत वेरुलियं गिण्हति गिरिहत्ता पात्थयरयणं पडिनिवखमइ सीहा- यमयं कडुच्छुयं पग्गहियं पयत्तेणं धूवं दाऊण जिणवराणं मणातो अब्भुट्ठति अम्भुट्ठत्ता ववसायसभातो पुरच्छिमि- अट्ठसयविसुद्धगन्थजुत्तेहिं अत्थजुत्तेहिं अपुणरुत्तेहिं महाविलणं दारेणं पडिनिक्खमइ २ मित्ता जेणेव नंदा पुक्खरणी त्तहि संथुणइ २ णित्ता सत्तट्ठ पयाई पच्चोसक्कई २ त्ता वामं नेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता गंदापुक्खरिणीपुरच्छि- जाणुं अचइता दाहिण जाणुं धरणितलंसि निहट्ट तिमिलेणं तोरणेणं परच्छिमिलेणं तिसोवाणपडिरूवएणं प- खुत्तो मुद्धाणं धरणितलंसि निवाडेइ २त्ता इंसिं पच्चचोरुहइ पच्चारुहित्ता हत्थपादं पक्खालेति पक्खालिताया- ममइ २ ता करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अञ्जलि यंति चोक्ख परमसइभए एगं मई सेयं श्ययामयं विमलं कट्ट एवं वयासी-नमोत्थु ण अरहताणं भगवंताणं. जाव मलिलपुमं मत्तगयमुहागितिकुंभसमाणं भिंगारं पगेएहति संपत्ताणं, वंदइ वंदित्ता नमसइ २ सित्ता जेणेव देवच्छंदए २ रिहत्ता जाई तत्थ उप्पलाई जाव सतसहस्सपत्ताई ताई जेणेव सिद्धायतणस्स बहुमज्झदेसभाए तेणेव उवागगेयह ति २रिहत्तागंदातो पक्खरिणीतोपच्चीसहति पच्चोरु- च्छइ २ ता लोमहत्थर्ग परामुसइ २ सित्ता सिद्धायतणस्स हित्ता जेणेव सिद्धायतणे तेणेव पहारेत्थ गमणाए।(मू०४३) बहुमज्झदेसभागं लोगहत्थेणं पमञ्जति, दिव्याए दगधा तए णं तं मूरियाभं देवं चत्तारि य सामाणियसाहस्सी- राए अब्भुक्खेइ, सरसेणं गोसीसचंदणेणं पंचंगुलितलं ओ जाव सोलस आयरक्खदेवसाहसीनो अन्ने य बहवे मंडलगं आलिहइ २ त्ता कयग्गाहगहियं जाव पुंजोबयामूरियाभं जाव देवीओ य अप्पेगतिया देवा उप्पलहत्थग- रकालय करइ करता धू । रकलियं करेइ करेत्ता धूवं दलयइ, जेणेव सिद्धायतणस्म या जाव सयसहस्सपत्तहत्थगया मुरियाभं देवं पितो २ दाहिणिल्ने दारे तेणेव उवागच्छति २त्ता लोमहत्थगं परासमणुगच्छति । तए णं बं मूरिभं देवं बहवे आभियोगि- मुसइ २ त्ता दारचेडीओ य सालभंजियायो य वालया देवा य देवीओ य अप्पेगतिया कलसहत्थगया जाव रूवए य लोमहत्थएणं पमज्जइ २ ता दियाए दगअप्पेगतिया धूवकडुच्छयहत्थगता हट्ठतुट्ठ जाव सूरियाभं धाराए अन्भुक्खेइ २त्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं चच्चए देवं पिट्ठतो समणुगच्छति । तए णं से सूरियामे देवे च- दलयइ दलइत्ता पुप्फारुहणं मल्ला० जाव आभरणाउहि सामाणियसाहस्सीहिं जाव अबेहि य बहहि य सरि- रुहणं करेइ करेत्ता पासत्तोसत्त जाव धूवं दलयइ २ याभं जाव देवेहि य देवीहि य सद्धिं संपरिवुडे सबिडीए ता जेणेव दाहिणिले दारे मुहमंडवे जेणव दाहिणिल्ल जावणातियरवेणं जेणेव सिद्धायतणे तेणेव उवागच्छति२ | स्स मुहमंडवस्म बहुमझदेसभाए तेखेव उवागच्छइ २ ता सिद्धायतणं पुरथिमिल्लेणं दारेणं अणुपविसति अणुप- त्ता लोमहत्थगं परामुमइ २ ना बहुमज्झदेसभागं लोविसित्ता जेणेव देवच्छंदए जेणेव जिणपडिमाओ तेणेव उ- महत्थेणं पमजइ २ ता दिव्याए दगधाराए अभुक्खेइ २ वागच्छतिरत्ता जिणपडिमाणं पालोए पणामं करति २त्ता ता सरमण गोमीसचंदणेणं पंचंगुलितलं मंडलगं आलोमहत्थगं गिराहतिरत्ता जिणपडिमाणं लोमहत्थरण पम- लिहइ २ ता कयग्गाहगाहय जाव धृवं दलयइ २त्ता अइ पमजित्ता जिणपडिमाओ मुरभिणा गंधोदएणं रहाणे- जेणेव दाहिणिल्लस्स मुहमंडबस्स पचत्थिमिल्ले दारे तेणेव इ एहाणित्ता सरमेणं गोसीसचंदणेणं गायाई अणुलिंपइ उवागच्छ २ च्छिना लोमहत्थगं परामुसइ २ ता दारअणुलिपित्ता सुरभिगंधकासाइएणं गायाइं लूहेति लूहित्ता चेडीओ य सालिभंजियायो य वालरूवए य लोमजिण पमिमाण अहयाई देवद्मजुयलाई नियसेह नियंसित्ता हत्था पमन्नइ २ ना दियाए दगधाराए० सरसेणं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 1157 1158 1159 1160 1161 1162 1163 1164 1165 1166 1167 1168 1169 1170 1171 1172 1173 1174 1175 1176 1177 1178 1179 1180 1181 1182 1183 1184 1185 1186 1187 1188 1189 1190 1191 1192 1193 1194 1195 1196 1197 1198 1199 1200 1201 1202 1203 1204 1205 1206 1207 1208 1209 1210 1211 1212 1213 1214 1215 1216 1217 1218 1219 1220 1221 1222 1223 1224 1225 1226 1227 1228 1229 1230 1231 1232 1233 1234 1235 1236 1237 1238 1239 1240 1241 1242 1243 1244 1245 1246 1247 1248 1249 1250 1251 1252 1253 1254 1255 1256 1257 1258 1259 1260 1261 1262 1263 1264 1265 1266 1267 1268 1269 1270 1271 1272 1273 1274 1275 1276 1277 1278 1279 1280