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विक्रमा बोली- 'कृपानाथ! मैंने अपने प्रवास में ऐसे एक युवक कलाकार को देखा था-उसके साथ बातचीत करने पर मुझे प्रतीत हुआ कि वह इसी दिशा की ओर आने वाला था। संभव है कि राजसभा में विवाह की योजना का ऐलान होने पर वह कलाकार एकाध सप्ताह में आ जाए।'
योजना स्वीकृत हो गई।
महाराज ने मंत्रियों के समक्ष इस योजना को प्रस्तुत किया और दूसरे दिन ही राजसभा में राजकन्या की भावना की घोषणा हो गयी।
राजकुमारी भी अपने एकान्तवास को त्यागकर माता-पिता के साथ राजभवन में रहने लगी।
विक्रमा भी एक शर्त पर रूपमाला के भवन पर निवास करने आयी। वह शर्त यह थी कि वह प्रतिदिन रात्रि में राजकुमारी के पास रहेगी।
२३. प्रस्थान राजकन्या सुकुमारी किसी कलाकार के साथ विवाह करने के लिए तैयार हो गई है और उसके मन में घुलने वाला पुरुष-द्वेष धुल गया है-यह बात दो-चार दिनों में आस-पास के सभी प्रदेशों में फैल गयी।
___ और वही कलाकार राजकन्या को पा सकेगा जो प्रभावशाली राग गा सकेगा-इस बात से सभी प्रदेशों में कुतूहल उमड़ पड़ा।
विक्रमा ने भी अपने मित्र और मंत्री के साथ चर्चा कर ली थी। इस चर्चा में अवंती की नर्तकियों ने भी भाग लिया था। इस प्रश्न पर पूरा विचार कर यह निर्णय लिया गया कि सप्ताह में महामंत्री और दोनों नर्तकियां अवंती पहुंच जाएं और विक्रमादित्य अपना स्त्री-रूप का परित्याग कर कलाकार का वेश धारण कर राजसभा में किसी राग की आराधना करें और अग्निवैताल के सहयोग से चमत्कार दिखाकर राजकन्या का वरण करें।
यह योजना सबको पसंद आ गई थी।
पांच दिन बीत जाने पर विक्रमा ने राजकुमारी के समक्ष प्रस्थान की इच्छा व्यक्त की।
सुकुमारी बोली- 'सखी! तुम्हारे बिना मेरा मन यहां नहीं लगेगा। तुम्हारे परिचय से मेरे मन का अंधकार दूर हुआ है। तुम्हारे सहयोग से मेरा जीवन भी धन्य बन जाएगा।'
'राजकुमारीजी! मेरी मातुश्री का प्रश्न मेरे लिए इतना महान् है कि मैं उसकी उपेक्षा नहीं कर सकती और प्रवास भी बहुत लंबा है-वहां पहुंचने में मुझे एक महीना लग जाएगा।' ११४ वीर विक्रमादित्य