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उववाइय सुत्तं सू० ३
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The trees in the said forest were well developed in their Toots, lower. trunks, upper trunks, barks, branches, sprouts, leaves, flowers, fruits and seeds. They were luxuriantly grown, looked beautiful and round in shape. A single trunk had many branches. They were rich in their branches and twigs. They were so thick and well-grown that it was difficult to contain them in the extended arms of many men together. Their leaves had no holes, sufficiently thick, capable to stand the gust of wind and bore no mark of damage from factors indigenous and extraneous. The old yellow leaves dropped on the ground. Because of the profusion of green and bright leaves, the ground underneath looked shady and grave. On the top, the trees wore new, fresh and young leaves, soft, bright and waving, fresh, new sprouts of coral hue.
णिच्चं कुसुमिया णिच्चं माइया णिच्चं लवइया णिच्चं थवइया णिच्चं गुलइया णिच्चं गोच्छिया णिच्चं जमलिया णिच्चं जुवलिया णिच्चं विणमिया णिच्चं पणमिया णिच्च कुसुमिय-माइय लवइयथवइय - गुलइय - गोच्छिय - जमलिय - जुवलिय - विमिय-पणमियसुविभत्त-पिंड-मंजरि-वडिंसयधरा ।
उनमें कई वृक्ष ऐसे थे, जो सदा फूलते थे। कई हमेशा मंजरियों से युक्त थे। कई नित्य पत्र-भार से झूमते थे। कई फूलों के गुच्छों से नित्य लदे रहते थे। कई लता-कुंजों से नित्य शोभित थे। कई पत्तों के गुच्छों से सदा युक्त. थे। कई वृक्ष ऐसे भी थे, जो नित्य समश्रेणिक अर्थात् एक कतार में स्थित थे। कई सदा युगल-दो-दो की जोड़ी के रूप में अवस्थित थे। कई वृक्ष पुष्प, फल आदि के भार से सदा बहुत झुके हुए थे। कई ऐसे वृक्ष थे, जो नित्य विशेष रूप से नमे हुए थे। वे वृक्ष विविधप्रकार की अपनी-अपनी विशेषताएँ लिये हुए सुन्दर रूप से लुम्बियों और मंजरियों के रूप में मानों सेहरे–कलंगियों को धारण किये रहते थे।
Some of these trees yielded flowers throughout the year, some were always laden with buds, some were ever bent low