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उववाइय सुत्तं सू० ६.
19 Malaya, Meru and Mahendra. He was born in a royal household which was noble and well-known over a long period of time. His limbs bore the auspicious marks of a monarch. He was respected and adored by many. He was rich in merits, a true ksatriya or defender. Always delightful, he was constitutionally accepted as a monarch, a worthy son of his parents.
दयपत्ते सोमंकरे सीमंधरे खमंकरे खेमंधरे मणुस्सिदे जणवयपिया जणवयपाले जणवय-पुरोहिए सेउकरे केउकर णरपवरे पुरिसवरे पुरिससोहे पुरिसवग्धं पुरिसासीविसे-पुरिसपुंडरोए पुरिसवर-गंधहत्थी अड्डे दित्ते वित्त विच्छिण्ण-विउल भवण-सयणासण-जाण-वाहणाइण्णे बहुधण-बहुजाय-रूव-रयते आओग-पओग-संपउत्ते विच्छड्डिअ-पउर. भत्तपाणे बहु-दासो-दास-गो-महिस-गवेलग-प्पभूते पडिपुण्ण जंत-कोस कोट्ठागाराउधागारे। .
वह करुणाशील, मर्यादाओं की स्थापना करने वाला, मर्यादाओं का पालन करने वाला, उपद्रव रहित स्थितियाँ उत्पन्न करने वाला, तथा निरुपद्रव अवस्था को स्थिर बनाये रखने वाला था। वह ( परम ऐश्वर्य के कारण ) मनुष्यों में इन्द्र के समान था। वह जनता का हितैषी होने के कारण पितृतुल्य, जनता का रक्षक होने के कारण प्रतिपालक, शान्ति करने के कारण हितकारक - कल्याणकारक, मार्गदर्शक, अद्भत कार्य करके आदर्श उपस्थापक था। वह वैभव, सेना, शक्ति आदि की अपेक्षा मनुष्यों में श्रेष्ठ, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष रूप चार पुरुषार्थों में उद्यमशील पुरुषों में श्रेष्ठ-प्रधान, पराक्रम की अपेक्षा पुरुषों में सिंहतुल्य, रोद्रता में बाघ के समान, अपने क्रोध को सफल बनाने के सामर्थ्य में सर्प के समान था। वह पुरुषों में श्रेष्ठ कमल-सुखार्थी, सेवाशील व्यक्तियों के लिये श्वेत कमल के समान सुकुमार था। वह पुरुषों में गन्धहस्ती के समान था, अर्थात् विरोधी राजा रूपी हाथियों का मान भंजक था। वह समृद्ध, दर्पवान्-प्रभावयुक्त और प्रसिद्ध था। उसके यहाँ बड़े-बड़े अनेकों भवन, सोने-बैठने के आसन, रथ, घोड़े आदि वाहनों की अधिकता थी, उस