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उववाइय सुर्त सू० १९
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What is suspension of intake of food for life?
It has two types, viz., after such suspension, remaining motionless like a tree till death (pådapopagamana) and after such suspension he is not debarred from physical movement or movement of limbs (bhakta-pratyā khyāna).
से किं तं पाओवगमणे ?
पाओवगमणे दुविहे पण्णत्ते । तं जहा-वाघाइमे अ निव्वापाइमे • अ। नियमा अप्पडिकम्मे । से तं पाओवगमणे ।
वह पादपोपगमन क्या है ? वह कितने प्रकार का है ?
पादपोपगमन दो प्रकार का बतलाया गया है। जैसा कि (१) व्याघातिम-सिंह आदि प्राणघातक प्राणी अथवा दावानल आदि उपद्रवों के उपस्थित हो जाने पर जीवन भर के लिये आहार का त्याग और (२) निर्व्याघातिम-विघ्नरहितः-सिंह, दावानल आदि से सम्बद्ध उपद्रव न होने पर भी मृत्यु-काल को सन्निकट जानकर स्वेच्छा से जीवन भर के लिये आहार-त्याग । इस अनशन में अप्रतिकर्म- शरीरसंस्कार, हलन-चलन. आदि क्रियाओं का त्याग। इस प्रकार पादपोपगमन . यावत्कथिक अनशन का विवेचन है।
What is pàdapopagamana ?
It has two types, viz., vyāghatima which is remaining motionless in the presence of a lion or forest-fire and nirvyāghātima which is remaining motionless voluntarily, particularly when one realises that death is not far ( but under no threat from a lion or fire ). As a rule, it permits no physical movement whatsoever. Such is pädapopagamana.
., से किं तं भत्तपच्चक्खाणे ?