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Uvavaiya Suttam Su. 19 It has five types, viz., not to hear and not to be swayed by love and malice even when heard. Not to see and not to be swayed by love and malice even when seen. Not to smell and not to be swayed by love and malice even when smelt. Not to taste and not to be swayed by love and malice even when tasted. Not to touch and not to be swayed by love and malice even when touched.
से किं तं कसाय-पडिसंलीणया ?
कसाय - पडिसंलीणया चउन्विहा पण्णत्ता । तं जहा - कोहस्सुदय-निरोहो वा उदय-पत्तस्स वा कोहस्स विफली-करणं । माणस्सुदय-निरोहो वा उदय-पत्तस्स वा माणस्स विफली-करणं । माया-उदय-निरोहो वा उदय-पत्तस्स वा मायाए विफली-करणं । लोहस्सुदय-निरोहो वा उदय-पत्तस्स वा लोहस्स विफली-करणं । से तं कसायपडिसंलीणया ।
वह कषाय प्रतिसंलीनता क्या है ? बह कितने प्रकार की है ?
कषाय प्रतिसंलीनता चार प्रकार की बतलाई गई है, वह इस प्रकार हैं : (१) क्रोध के उदय का निरोध करना अर्थात् क्रोध को नहीं उठने देना अथवा उदय प्राप्त-उठे हुए क्रोध को निष्फल करना, उसे निष्प्रभाव बनाना, (२) मान के उदय का निरोध करना अर्थात् मान को उभार में नहीं आने देना अथवा उदय प्राप्त अहंकार को विफल-प्रभाव शून्य बनाना, (३) माया के उदय का निरोध करना अर्थात् माया को नहीं उभरने देना अथवा उदयप्राप्तमाया को विफल-प्रभाव शून्य बनाना, (४) लोभ के उदय का निरोध करना अर्थात् लोभ को नहीं उठने देना अथवा उदय प्राप्त लोभ को विफल-प्रभाव रहित बना देना। यह कषाय प्रतिसंलीनता का स्वरूप है।
What is the restraint of passions ? .
It has four types, viz., to check anger and make it nuga. tory. To check pride and make it nugatory. To check attach