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उववाइय सुत्तं सू० २०
वह काय विनय क्या है ? वह कितने प्रकार का है ? .
काय विनय दो प्रकार का कहा गया है जो इस प्रकार है। (१) प्रशस्त काय विनय, (२) अप्रशस्त काय विनय ।
What is humility of the body ? It has two types, viz., wholesome and unwholesome.
से किं तं अपसत्थकाय विणए ? .
अपसत्थकाय विणए सत्तविहे पण्णत्ते । · तं जहा—अणाउत्तं गमणे अणाउत्त ठाणे अणाउत्तं निसीदणे अणाउत्तं तुअट्टणे अणाउत्तं उल्लंघणे अणाउत्तं पल्लंघणे अणाउत्तं सम्विदियकाय-जोगजुजणया । से तं अपसत्थकाय विणए ।
अप्रशस्त काय विनय क्या है ? उसके कौन-कौन से भेद हैं ?
अप्रशस्त काय विनय सात प्रकार का कहा गया है जो इस प्रकार है: (१) अनायुक्त गमन सावधानी बिना चलना, (२) अनायुक्त स्थानबिना उपयोग जागरुकता, स्थित होना, खड़ा होना, (३) अनायुक्त निषीदन-असावधानी से बैठना, (४) अनायुक्त त्वग्वर्तन-बिना उपयोग बिछौने पर करवट बदलते रहना, (५) अनायुक्त उल्लंघन-बिना उपयोग कर्दम-कीचड़ आदि को लांघना, (६) अनायुक्त प्रलंघन-बिना उपयोग बारबार अतिक्रमण-लांघना, (७) अनायुक्त सर्वेन्द्रियकाय-योग-योजनताबिना उपयोग सभी इन्द्रियों और शरीर को विभिन्न प्रवृत्तियों में लगाना। इस प्रकार यह अप्रशस्त काय विनय का स्वरूप है।
What is unwholesome humility of the body ?
It has seven types, viz., being careless about movement, halt, sitting, lying, crossing, jumping, and making a reckless use of sense-organs and body. These are unwholesome.