Book Title: Uvavaia Suttam
Author(s): Ganesh Lalwani, Rameshmuni
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 264
________________ उववाइय सुत्तं सू० ३९ 235 महावीर को, जो सिद्धावस्था प्राप्त करने में समुद्यत हैं, हमारा नमस्कार हो, हमारे धर्माचार्य, धर्मोपदेशक अम्बड़ परिव्राजक को हमारा नमस्कार हो। "Bow we to the Victors / Arihantas, till the Liberated Souls. Bow we to Sramaņa Bhagavān Mahāvira who is about to be liberated. Bow we to Parivrājaka Ambada, our spiritual master, spiritual guide. पुटिव णं अम्हे अम्मडस्स परिव्वायगस्स अंतिए थूलगपाणाइ-वाए पच्चक्खाए जावज्जीवाए. मुसावाए अदिण्णादाणे पच्चक्खाए जावज्जीवाए । सव्वे मेहुणे पच्चक्खाए जावज्जीवाए। थूलए परिग्गहे पच्चक्खाए जांवज्जीवाए। पहले . हमने. अम्बड़ परिव्राजक के निकट-उनके साक्ष्य से स्थूल प्राणातिपात-स्थूल हिंसा, •असत्य, चोरी का जीवन भर प्रत्याख्यानत्याग किया था। अब सब प्रकार के अब्रह्मचर्य का जीवन भर के लिये परित्याग करते हैं तथा स्थूल परिग्रह का जीवन भर के लिए त्याग करते हैं। “Earlier, we had renounced for good to our spiritual master, Amvada, injury to living beings in general, falsehood in . general, usurpation in general, but now we renounce for good all sex behaviour in general, accumulation in general. . इयाणि अम्हे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए सव्वं पाणाइवायं पच्चक्खामो जावज्जीवाए। एवं जाव...सव्वं परिग्गहं पच्चक्खामो जावज्जीवाए। सव्वं कोहं माणं मायं लोहं पेज्जं दोसं कलहं अब्भक्खाणं पेसुण्णं परपरिवायं अरइरई मायामोसं मिच्छादसणसल्लं अकरणिज्जं जोगं पच्चक्खामो जावज्जीवाए।

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