Book Title: Uvavaia Suttam
Author(s): Ganesh Lalwani, Rameshmuni
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 327
________________ 298 Uvavaiya Suttam Sh. 42 मोसमणजोगं जुजइ ? सच्चामोसमणजोगं झुंजइ ? असच्चा-.. मोसमणजोगं जुजइ ? महावीर : गोयमा ! सच्चमणजोगं जुजइ। णो मोसमणजोगं जुजइ । णो सच्चामोसमणजोगं झुंजइ । असच्चामोसमणजोगपि जुंजइ। गौतम : भगवन् ! वे मनोयोग को प्रयुक्त करते हुए क्या सत्य मनोयोग को प्रयुक्त करते है ? क्या मृषा-असत्य मनोयोग को प्रयुक्त करते है ? क्या सत्य-मृषा- सत्य-असत्य मिश्रित अर्थात् जिस का कुछ अंश सत्य हो, और कुछ अंश असत्य हो, ऐसे मनोयोग को प्रयुक्त करते हैं? क्या असत्य-अमृषा-न सत्य न असत्य ऐसा व्यवहार मनोयोग को प्रयुक्त करते हैं ? महावीर : हे गौतम ! वे सत्य मनोयोग को प्रयुक्त करते हैंसत्य मन की क्रिया करते हैं। असत्य मनोयोग को प्रयुक्त नहीं करत ह-- असत्य मनोयोग की क्रिया नहीं करते हैं। सत्-असत्य मिश्रित-जिस का कुछ अंश सत्य हो और कुछ अंश असत्य हो, ऐसे मनोयोग को प्रयुक्त नहीं करते हैं अर्थात् मनोयोग की क्रिया नहीं करते हैं। किन्तु असत्य-अमृषान सत्य न मृषा मनोयोग-व्यवहार मनोयोग को भी वे 'प्रयुक्त करते हैं, असत्य-अमृषा मन की क्रिया भी करते हैं। Gautama : Bhante! While performing the activity of the mind, does he perform the activity based on truth, or on untruth, or on truth-untruth, or on non-truth-non-untruth ? Mahavira : Gautama! He has activity based on truth, not on untruth, nor on truth and untruth, but he has activity based on non-truth-non-untruth. गौतम : वयजोगं जुंजमाणे किं सच्चवइजोगं जुंजइ ?. मोस

Loading...

Page Navigation
1 ... 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358