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Uvavaiya Suttam Sh. 42 मोसमणजोगं जुजइ ? सच्चामोसमणजोगं झुंजइ ? असच्चा-.. मोसमणजोगं जुजइ ?
महावीर : गोयमा ! सच्चमणजोगं जुजइ। णो मोसमणजोगं जुजइ । णो सच्चामोसमणजोगं झुंजइ । असच्चामोसमणजोगपि जुंजइ।
गौतम : भगवन् ! वे मनोयोग को प्रयुक्त करते हुए क्या सत्य मनोयोग को प्रयुक्त करते है ? क्या मृषा-असत्य मनोयोग को प्रयुक्त करते है ? क्या सत्य-मृषा- सत्य-असत्य मिश्रित अर्थात् जिस का कुछ अंश सत्य हो, और कुछ अंश असत्य हो, ऐसे मनोयोग को प्रयुक्त करते हैं? क्या असत्य-अमृषा-न सत्य न असत्य ऐसा व्यवहार मनोयोग को प्रयुक्त करते हैं ?
महावीर : हे गौतम ! वे सत्य मनोयोग को प्रयुक्त करते हैंसत्य मन की क्रिया करते हैं। असत्य मनोयोग को प्रयुक्त नहीं करत ह-- असत्य मनोयोग की क्रिया नहीं करते हैं। सत्-असत्य मिश्रित-जिस का कुछ अंश सत्य हो और कुछ अंश असत्य हो, ऐसे मनोयोग को प्रयुक्त नहीं करते हैं अर्थात् मनोयोग की क्रिया नहीं करते हैं। किन्तु असत्य-अमृषान सत्य न मृषा मनोयोग-व्यवहार मनोयोग को भी वे 'प्रयुक्त करते हैं, असत्य-अमृषा मन की क्रिया भी करते हैं।
Gautama : Bhante! While performing the activity of the mind, does he perform the activity based on truth, or on untruth, or on truth-untruth, or on non-truth-non-untruth ?
Mahavira : Gautama! He has activity based on truth, not on untruth, nor on truth and untruth, but he has activity based on non-truth-non-untruth.
गौतम : वयजोगं जुंजमाणे किं सच्चवइजोगं जुंजइ ?. मोस