Book Title: Uvavaia Suttam
Author(s): Ganesh Lalwani, Rameshmuni
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 328
________________ 299 उववाइय सुत्तं सू० ४२ वइजोगं जुजइ ? सच्चामोसवइजोगं जुंजइ ? असच्चामोसवइजोगं जुंजइ ? महावीर : गोयमा ! सच्चवइजोगं जुजइ। णो मोसवइजोगं जुंजइ । णो सच्चामोसवइजोगं जुजइ। असच्चामोसवइजोगं पि जुंजइ। _ गौतम : भगवन् ! वाक योग का उपयोग करते हुए-वचन-क्रिया में प्रवृत्त होते हुए क्या सत्य वाक् योग का उपयोग करते हैं ? क्या मृषाअसत्य वाक योग का उपयोग करते हैं? क्या सत्य-मषा--सत्य-असत्य मिश्रित--जिस का · कुछ अंश सत्य हो और कुछ अंश असत्य हो, ऐसे वाक योग का उपयोग करते हैं? क्या असत्य-अमृषा-न सत्य न मृषा-- व्यवहार वाक योग का उपयोग करते हैं ? महावीर : हे गौतम ! वे सत्य वाक योग का उपयोग करते हैं। मृषा-असत्य वाक योग का उपयोग नहीं करते हैं। न वे सत्य-असत्य मिश्रित वाक् योग का ही उपयोग करते हैं। वे असत्य-अमृषा वाक् योग-व्यवहार वचन योग का उपयोग भी करते हैं। Gautama : Bhante! While performing the activity of the speech, does' he speak the truth, untruth, truth-untruth or non-truth-non-untruth ? .. Mahavira : Gautamal He speaks the truth, not untruth, 'nor truth-uptruth, but he indulges in non-truth-non-untruth. .. कायजोगं जुजमाणे आगच्छेज्ज वा चिट्ठज्ज वा णिसीएज्ज वा तुयट्टेज्ज वा उल्लंघेज्ज वा पल्लंघेज्ज वा उक्खेवणं वा अवक्खेवणं वा तिरियक्खेवणं वा करेज्जा पाडिहारियं वा पीढफलहगसेज्जसंथारग पच्चप्पिणेज्जा ॥४२॥

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