Book Title: Uvavaia Suttam
Author(s): Ganesh Lalwani, Rameshmuni
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 301
________________ 272 Uvavaiya Suttam St. 41 Then at a point in eternal time, they pass away and are reborn in the upper Graiveyakas as celestial beings. The span of their life there is 31 sāgaropamas. They propi-tiate not rebirth. The rest as before. 19. प्रतिविरत - अप्रतिविरत अल्प आरम्भियों का उपपात Rebirth of people who are restrained, unrestrained and cause little harm, etc. से जे इमे गामांगर जाव... सण्णिवेसेसु मणुया भवंति तं जहा - अप्पारंभा अप्पपरिग्गहा धम्मिया धम्माणुया धम्मिट्ठा धम्मक्खाई धम्मप्पलोइया धम्मपलज्जणा धम्मसमुदायारा धम्मणं चेव वित्ति कप्पेमाणा सुसीला सुब्वया सुप्पडियाणंदा ये जो ग्राम, आकर -- नमक आदि के उत्पत्ति स्थान... यावत् सन्निवेश -- झोपड़ियों से युक्त बस्ती, या सार्थवाह, व सेना आदि के ठहरने के स्थान में मनुष्य होते, जो इस प्रकार हैं : अल्पारम्भ - थोड़ी हिंसा से जीवनचलाने वाले, अल्प परिग्रह - - परिमित धन-धान्य आदि में संतोष रखने वाले, धार्मिक - श्रुत -- चारित्र रूप धर्म का आचरण करने वाले, धर्मानुगआगमानुमोदित धर्म का अनुसरण करने वाले, धर्मिष्ठ - धर्म में प्रीति रखने वाले, धर्माख्यायी - धर्म का आख्यानं करने वाले, या भव्य प्राणियों को धर्म का स्वरूप बताने वाले, अथवा धर्मख्याति-धर्म द्वारा प्रसिद्धि प्राप्त करने वाले, धर्मप्रलोकी - धर्म को उपादेय रूप में देखने वाले, धर्मप्ररंजन - धर्म में विशेषतया अनुरक्त रहने वाले, धर्म समुदाचार-धर्म का सम्यक् रूप से आचरण करने वाले, धर्मपूर्वक अपनी जीविका चलाने वाले, सुशीलल-उत्तम आचार युक्त, सुव्रत-श्रेष्ठ व्रत से युक्त, सुप्रत्यानन्द - शुभ भाव के सेवन में सदा प्रसन्नचित्त रहने वाले । In the villages, towns, till sanniveśas, there are men who do little harm, who have little accumulation of property,

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