Book Title: Uvavaia Suttam
Author(s): Ganesh Lalwani, Rameshmuni
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 288
________________ 259 उववाइय सुत्तं सू० ४० वि दारए कामेहिं जाए भोगेहिं संबड्डे णोवलिप्पिहिति कामरएणं णोवलिप्पिहिति भोगरएणं, णोवलिप्पिहिति मित्तणाइणियगसयणसंबंधिपरिजणेण । जैसे उत्पल-नील कमल, पद्म-पीत कमल, कुमुद-लाल कमल, नलिन-गुलाबी कमल, सुभग-सुनहरा कमल, सुगन्ध-संभवत हरा कमल, पुण्डरीक-सफेद कमल, महापुण्डरीक-विशेष श्वेत कमल, शतपत्र-सौ पंखुड़ी वाला कमल' सहस्रपत्र-हजार पंखुड़ी वाला कमल कीचड़ में उत्पन्न होते हैं, जलमें बढ़ते हैं किन्तु पंक-रज-कीचड़ के सूक्ष्म कणों से लिप्त नहीं होते हैं, जलरज-जल रूप कणों से लिप्त नहीं होते हैं, उसी प्रकार दढ़प्रतिज्ञ बालक जो काममय-काम-भोग में उत्पन्न होगा, भोगमय जगत में संवद्धित होगा, अर्थात् काममय-भोगमयं जगत में पलेगा-पुसेगा, किन्तु काम रज- शब्दात्मक, रूपात्मक, गन्धात्मक, रसात्मक और स्पर्शात्मक भोग्य पदार्थों से-भोगासक्ति से लिप्त नहीं होगा। मित्र, सजातीय, भाई-बहन आदि पारिवारिक जन, नाना, मामा आदि-मातपक्ष के पारिवारिक जन तथा अन्यान्य सम्बन्धी, परिजन–दासी-दास, आदि इनमें आसक्त नहीं होगा। A lotus, blue, yellow, red, pink, golden, green, white, specially white, with a hundred petals, a thousand petals, with a hundred thousand petals, blossoms in mud, grows in water, but is not contaminated by either inud or water ; likewise Dțąhapratijña born out of lust and brought up in joy, will never be contaminated by either lust or joy, by pleasure, by friends, kins, relations on either side, or by valets ' and maids. से णं तहारूवाणं थेराणं अंतिए केवलं बोहिं बुझिहिांत । केवलबोहिं बुज्झित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइहिति । वह तथारूप--वीतराग प्रभु की आज्ञा के अनुवर्ती--अनुसता, स्थविरज्ञान तथा चारित्र में वृद्ध–वृद्धिप्राप्त श्रमणों के पास केवल बोधि-विशुद्ध

Loading...

Page Navigation
1 ... 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358