________________
150
Uvavaiya Suttam Su: 31
लड़ना, व्यायाम के अनेक उपकरण-मुद्गर आदि घुमाना इत्यादि बहुविध क्रियाओं द्वारा अपने को श्रान्त-शिथिल किया, परिश्रान्त–विशेष रूप से शिथिल किया--थकाया।
Having been thus informed by the Commander of the army and having heard his words, king Kūņika, the son of Bhambhasāra, became highly delighted and pleased, till his' heart expanded in glee. He went to his gymnasium and entered into it. Having entered there, he performed various types of physical exercises, skipping, jumping, wrestling, rubbing each other's body, sundry physical movements, till he was physically tired.
सयपागसहस्सपागेहिं सुगंधतेल्लमाइएहिं दप्पणिज्जेहिं मयणिज्जेहिं विहणिज्जेहिं सविदियगायपल्हायणिज्जेहिं अभिगेहि अभिगिए समाणे तेल्लचम्मंसि पडिपुण्णपाणिपायसुकुमालकोमलतलेहिं पुरिसेहिं छेएहिं दखेहिं पत्तट्ठोहिं कुसलेहिं मेहावीहिं णिउणसिप्पोवगएहिं अभिंगणपरिमद्दणुव्वलणकरणगुणणिम्माएहिं अट्ठिसुहाए मंससुहाए तयासुहाए रोमसुहाए चउब्विहाए संवाहणाए संवाहिए समाणे अवगयखेअपरिस्समे अट्टणसालाउ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता जेणेव मज्जणघरें तेणेव उवागच्छइ। तेणेव उवागच्छित्ता मज्जणघरं अणुपविसइ।
( फिर ) प्रणिनीय रस, रक्त, आदि धातुओं में समता-निष्पादक, दर्पणीय-बलवर्धक, मदनीय कामोत्तेजक, बहणीय-मांसवर्धक और सभी इन्द्रियों एवं सम्पूर्ण शरीर के लिये आनन्दकर या लाभप्रद शतपाक, सहस्रपाक संज्ञक सुगन्धित तैलों, अभ्यंगों-मालिस के साधनों के द्वारा . शरीर का मर्दन करवाया-मसलवाया। (फिर ) तलचर्म-आसन विशेषपर, उस प्रकार के आसन पर, जिस पर तैल मालिस किये हुए पुरुष को बिठा कर संवाहन किया जाता है, अर्थात् देहचंपी की जाती है, स्थित