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• Uvavaiya Suttam sa. 20
आभ्यन्तर तप
Internal Penance
से किं तं अभिंतरए तवे ? ..
अभिंतरए तवे छविहे पण्णत्ते । तं जहा-पायच्छित्तं विणओ वेयावच्चं सज्झाओ झाणं विउस्सग्गो। ..
. वह आभ्यन्तर तप क्या है ? वह कितने प्रकार का है ?
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आभ्यन्तर तप छः प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार है : (१) प्रायश्चित्त, (२) किनय, (३) वैयावृत्य, (४) स्वाध्याय, (५) ध्यान, (६) व्युत्सर्ग। .
Internal penance is said to be of six types, viz., atonement, humility, sharing food with fellow monks, reading of texts, meditation/concentration and giving up attachment for mundane life.
से किं तं पायच्छित्ते ?
पायच्छित्ते दसविहे पण्णत्ते । तं जहा-आलोअणारिहे पडिक्कमणारिहे तदुभयारिहे विवेगारिहे विउस्सग्गारिहे तवारिहे छेदारिहे मूलारिहे अणवठ्ठप्पारिहे पारंचिआरिहे। से तं पायच्छित्ते ।
वह प्रायश्चित्त क्या है ? वह कितने प्रकार का है ?
प्रायश्चित्त दस प्रकार का बतलाया गया है, जो इस प्रकार है : (१) आलोचनाई-गमन, आगमन, भिक्षा, प्रतिलेखन आदि दैनिक कार्यों में