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Uvaraiya Suttam Su. 19
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भाव अवमोदरिका अनेक प्रकार की बतलाई गई हैं। जो इस प्रकार है-अल्प क्रोध, अल्प मान ( अहंकार ), अल्प माया (प्रवञ्चना), अल्प लोभ, अल्प शब्द-कषाय' के आवेश में होने वाली शब्द प्रवृत्ति का त्याग, अल्पझंझ-कलह-उत्पादक वचनों का त्याग । यहाँ 'अल्प' शब्द का प्रयोग अभाव या निषेध के अर्थ में हुआ है। जिसका तात्पर्य यह है कि क्रोध, मान आदि का उदय तो होता है, पर साधक आत्मबल के द्वारा उन्हें टाल देता है या स्वयं तदुत्पादक-निमित्तों से हट जाता है।
What is the one related to congnition (bhāva-avamodarika) ?
It has many types such as, little anger, little pride, little attachment, little greed, little fury (word ), little animosity. Such is avamodarikā.
से कि तं भिक्खायरिया ?.
भिक्खायरिया अणेगविहा पण्णत्ता । तं जहा - दव्वाभिग्गहचरए खेत्ताभिग्गह - चरए कालाभिग्गह - चरए भावाभिग्गह-चरए उक्खित्त-चरए णिक्खित्त-चरए उक्खित्त-णिक्खित्त- चरए णिक्खित्तउक्खित्त-चरए वट्टिज्जमाण-चरए साहरिज्जमाण-चरए उवणीअचरए अवणीअ-चरए उवणीअ-अवणीअ-चरए अवणीअ-उवणीअचरए संसट्ठ-चरए असंसट्ठ-चरए तज्जात-संसट्ठ-चरए अण्णाय-चरए मोण-चरए दिट्ठ-लाभिए अदिट्ठ-लाभिए पुट्ठ-लाभिए अपुट्ठ-लाभिए भिक्खा - लाभिए अभिक्ख - लाभिए अण्ण - गिलायए ओवणिहिए परिमित-पिंड-वाइए सुद्धसणिए संखायत्तिए। से तं भिक्खायरिया।
वह भिक्षाचर्या क्या है ? उसके कौन-कौन से भेद हैं ?
भिक्षाचर्या अनेक प्रकार की बतलाई गई हैं जो इस प्रकार हैं: द्रव्याभिग्रहचर्या-खाने-पीने से सम्बन्धित वस्तुओं के विषय में विशेष प्रतिज्ञा करना। अमुक वस्तु अमुक स्थिति में प्राप्त हो तो उसे ग्रहण करना इस प्रकार भिक्षा