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.. Uvavāiya Suttaṁ Sü. 15
सीह-निक्कीलियं तवोकम्मं पडिवण्णा भद्दपडिमं महाभद्दपडिमं सव्वतोभद्दपडिमं आयंबिलवद्धमाणं तवोकम्म पडिवण्णा मासि भिक्खुपडिमं एवं दोमासिकं पडिमं तिमासिकं पडिमं जाव.... सत्तमासिकं भिक्खुपडिमं पडिवण्णा। अप्पेगइआ पढमं सत्तराइंदिरं अप्पेगइआ भिक्खुपडिम पडिवण्णा जाव....तच्चं सत्त-राइंदिरं भिक्खुपडिमं पडिवण्णा अहोराइंदिरं भिक्खुपडिमं पडिवण्णा इक्कराइंदिरं भिक्खुपडिमं पडिवण्णा सत्त-सत्तमिरं भिक्खुपडिमं अट्ठमिश्र भिक्खुपडिमं णव-णवमिमं भिक्खुपडिमं दस-दसमिअं भिक्खुपडिमं । खुड्डियं मोअ-पडिमं पडिवण्णा महल्लियं मोअपडिमं पडिवण्णा । जवमझ चंदपडिमं पडिवण्णा वइर-(वज्ज) मज्झं चंदपडिमं पडिवण्णा संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणा वीहरंति ॥१५॥
कई ऐसे थे, जो कनकावली तपः कर्म, और इसी प्रकार एकावली तप करने वाले थे, कई लघु-सिंह-निष्क्रीड़ित तपः कर्म करने में संलग्न थे, कई महासिंह-निष्क्रीड़ित तपः कर्म करने वाले थे, कई भद्र-प्रतिमा, महाभद्र-प्रतिमा, सर्वतोभद्र-प्रतिमा और आयंबिल वर्द्धमान तपः कर्म करने वाले थे, कई एक मासिक मिक्षु-प्रतिमा, इसी प्रकार द्वैमासिक भिक्षु-प्रतिमा, त्रैमासिक भिक्षु-प्रतिमा, चातुर्मासिक भिक्षु-प्रतिमा, पाञ्च मासिक भिक्षु-प्रतिमा, पाण्मासिक तथा साप्त मासिक भिक्षु-प्रतिमा ग्रहण किये हुए थे। कई प्रथम सप्त रात्रिन्दिवासात रात-दिन की भिक्षु-प्रतिमा के धारक थे, कई द्वितीय सप्त रात्रिन्दिवा भिक्षु-प्रतिमा तथा कई तृतीय सप्तराविन्दिवा भिक्षु-प्रतिमा ग्रहण किये हुए थे। कई एक रात दिन की भिक्षु-प्रतिमा के धारक थे, कई एक रात की भिक्षु-प्रतिमा के धारक थे। कई श्रमणनिर्ग्रन्थ सात-सात दिनों की सात इकाइयों या सप्ताहों की भिक्षु-प्रतिमा ग्रहण किये हुए थे, कई आठ-आठ दिनों की इकाइयों की भिक्षु-प्रतिमा के धारक थे, कई नौ-नौ दिनों की नौ इकाइयों की भिक्षु-प्रतिमा के धारक थे, कई श्रमण दस-दस दिनों के दस दिन समूहों की भिक्षु-प्रतिमा को ग्रहण किये हुए थे, कई लघु मोक-प्रतिमा, कई महा-मोक-प्रतिमा, कई यवमध्यचन्द्रप्रतिमा तथा कई वज्रमध्यचन्द्र-प्रतिमा के धारक थे ॥१५॥